- चाँद के दर्शन व जल देकर पूजा अर्चना कर पति की लंबी आयु की कामना
- बुधादित्य एवं समसप्तक योग से दाम्पत्य जीवन में घुली मिठास
बरेली। हिंदू धर्म में करवा चौथ के त्यौहार का विशेष महत्व होता है। करवा चौथ का त्योहार हर वर्ष शारदीय नवरात्रि के खत्म होने के बाद कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। करवा चौथ पर्व पर सुहागिन महिलाएँ अपने पति की लंबी आयु एवं सुख समृद्धि की कामना के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह सिंगार करते हुए व्रत कथा और पूजा करती हैं एवं पति अपनी पत्नी को उपहार भी प्रदान करते हैं। सुहागिनों का सबसे बड़ा व्रत करवा चौथ है। करवा चौथ पर सुहागन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर और चंद्रमा के दर्शन कर जल देती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महिलाएं शक्ति के रूप में होती हैं, जैसे माता पार्वती ने शिवजी को पाने के लिए व्रत रखा था और और सती सावित्री ने अपने पति के प्राणों को यमराज के हाथों से रक्षा की थी। इसी प्रकार बरेली में भी सुहागिनों ने अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए करवा चौथ का निर्जल व्रत रखा और चांद के दर्शन कर जल अर्पित करके पूजा अर्चना की। करवा चौथ पर्व पर बाजारों में खरीदारी का दौर जारी रहा। कारोबारियों के अनुसार बीते वर्ष से इस बार बाजार में डेढ़ गुना रौनक रही। करवा चौथ पर्व पर चूडियों के साथ-साथ सर्राफा बाजार में भी खूब रौनक देखने को मिली। सर्राफा व्यवसायियों के अनुसार बजट के अनुसार सोने और चांदी की खरीदारी इस बार खूब रही एवं उन्होंने अनुमान जताया कि धनतेरस पर सर्राफा बाजार बीते कई वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ेगा।