बरेली । अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश त्वरित न्यायालय-प्रथम रवि कुमार दिवाकर ने एक दहेज हत्या के मामले में पति, सास और ससुर को फांसी की सजा सुनाई है। अदालत ने अपने फैसले में दहेज प्रथा की निंदा करते हुए सख्त टिप्पणियां कीं और समाज को चेतावनी दी कि यदि इस कुप्रथा को नहीं रोका गया, तो आने वाली पीढ़ियां भी इसका दंश झेलेंगी।
बेटियां कोई बोझ नहीं, समाज को मानसिकता बदलनी होगी
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आज भी समाज में बेटियों को बोझ समझा जाता है। उनकी शादी को माता-पिता के लिए जीवन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी मान लिया जाता है, जिससे दहेज जैसी प्रथाएं जन्म लेती हैं। हमें इस मानसिकता को बदलना होगा।
नरमी बरतने का मतलब अपराध को बढ़ावा देना होगा
न्यायाधीश ने कहा कि यदि इस तरह के अपराधों में नरमी बरती जाती है, तो यह समाज में अपराध को बढ़ावा देने जैसा होगा। दहेज हत्या का यह मामला जघन्यतम अपराध की श्रेणी में आता है, इसलिए दोषियों को फांसी की सजा दी जाती है।
कोर्ट का फैसला और दलीलें
कोर्ट ने कहा कि यह केवल एक महिला की हत्या का मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए चेतावनी है। यदि इस तरह के मामलों में कठोर दंड नहीं दिया गया, तो बेटियों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी।
अदालत ने इस मामले को दुर्लभतम मामलों की श्रेणी में रखते हुए दोषियों को फांसी की सजा सुनाई। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस फैसले से समाज में एक मजबूत संदेश जाएगा कि दहेज प्रथा को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और जो भी इसमें लिप्त होगा, उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी।
कोर्ट ने इस मामले में पति मकसद अली, ससुर साबिर अली और सास मसीतन उर्फ हमशीरन को फांसी की सजा सुनाई। तीनों के खिलाफ नवाबगंज थाने में धारा 498-ए, 304-बी, 302/34 भारतीय दंड संहिता और धारा 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) दिगंबर सिंह ने समाज में शादीशुदा महिलाओं की स्थिति पर कुछ कविताएं भी प्रस्तुत कीं।
जज रवि कुमार दिवाकर ने अपने आदेश में कुछ कविताएं लिखीं
आज उस माता-पिता पर आयी मुझे बहुत दया, जिसने किया अपने लाडो को घर से विदा,
लड़की वाले होकर प्रत्येक अपमान का घूँट पिया,
अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान-दहेज भी बहुत दिया, घर प्रवेश से पहले नंदों ने गहनों का हिसाब लिया,
और साथ में उसका स्वागत अपनी जली-कटी बातों से किया,
जिस घर के लिए वह हजारों सपने संजोकर आयी थी,
आज उस घर में वह जन्मों के साथी के लिए परायी थी,
शायद पत्नी के गुणों से ज्यादा, उस पति को भी पैसों से प्यार था,
दहेज में आई गाड़ी-घोड़ों का यह लालच, उस पति में भी बेसुमार था,
लालच की हद उन्हें इस मुकाम पर ले आयी थी,
जज बोले, “ऐसा अगर खुद की बेटी के साथ होता?”
दहेज के लिए स्त्री की हत्या करना ऐसा अपराध है, जो न केवल नृशंस है, बल्कि बर्बर और पाश्विक प्रकृति का भी है। जब कोई अपनी ही पत्नी की हत्या कर सकता है, तो यह प्रेम और रिश्तों की पवित्रता पर सवाल उठाता है।
दुल्हन के रूप में बीज, अर्थात् मृतका फराह, जो अपनी मूल भूमि, अर्थात् पैतृक घर से अलग हो गई थी, और जो किसी अन्य भूमि, अर्थात् पति के घर में बीज के रूप में विकसित और फलदायी होती, नष्ट हो गई है।
वर्तमान समाज में यद्यपि लड़के और लड़की को शिक्षा तथा विवाह के संबंध में समान अवसर उपलब्ध कराए गए हैं, किंतु विवाह के समय अब भी भेदभाव बना हुआ है। इसी भेदभाव के कारण दहेज प्रथा पनप रही है और कई युवा महिलाओं की दहेज के लालच में हत्याएं हो रही हैं।
इस सामाजिक बुराई का अंत कानून से संभव नहीं, इसके लिए समाज को जागरूक होना पड़ेगा। युवाओं को आगे आकर बिना दहेज के विवाह करना चाहिए, ताकि इस कुप्रथा को जड़ से मिटाया जा सके।
महिला की आर्थिक स्वतंत्रता इस समस्या के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। जब महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होंगी, तब दहेज की समस्या भी समाप्त हो जाएगी। इसके लिए आवश्यक है कि हर वर्ग की महिलाओं को उच्च शिक्षा दी जाए। पश्चिमी देशों में दहेज हत्या के मामले लगभग न के बराबर हैं, क्योंकि वहां की महिलाएं शिक्षित और आर्थिक रूप से स्वतंत्र हैं।
मुस्लिम समाज में निकाह को एक पवित्र संस्था माना गया है
इस प्रकरण में सिद्धदोषों द्वारा एक महिला की मात्र दहेज के लालच में साजिशन हत्या की गई है। इस मामले में सिद्धदोष मकसद अली मृतका फराह का पति है, साबिर अली उसके ससुर हैं और मसीतन उर्फ हमशीरन उसकी सास हैं।
मुस्लिम समाज में निकाह को एक पवित्र संस्था माना गया है। हजरत मोहम्मद साहब का कथन है कि “निकाह मेरी सुन्नत है। जो लोग जीवन के इस ढंग को नहीं अपनाते, वे मेरे अनुयायी नहीं हैं।”
पति-पत्नी का संबंध प्रेम पर आधारित होता है।ऐतिहासिक प्रेम कथाएं, जैसे लैला-मजनू और शीरी-फरहाद, यह सिखाती हैं कि प्रेम में किसी की जान ली नहीं जाती, बल्कि प्रेम के लिए कुर्बानी दी जाती है। मगर इस मामले में पति ने प्रेम का गला घोंट दिया।
जेब में रखा पेन जब कोई मांग ले, तो हम देने में हिचकिचाते हैं,
ये बेटी वाले क्या जिगर रखते हैं, जो कलेजे का टुकड़ा सौंप देते हैं,
और बेशर्म हैं वो लोग, जो इतनी कीमती चीज लेकर भी,
दहेज के रूप में फिर से कीमत मांगते हैं।
न्यायालय का स्पष्ट मत है कि यदि दहेज की मांग के कारण किसी भी वधू की हत्या की जाती है, तो दोषियों को कठोरतम दंड दिया जाना चाहिए।
महान विद्वान स्वामी विवेकानंद ने कहा था, “किसी राष्ट्र की प्रगति का सबसे अच्छा मापदंड उस राष्ट्र का महिलाओं के प्रति व्यवहार है।” महिलाओं के खिलाफ अपराध न केवल उनके आत्मसम्मान और गरिमा को प्रभावित करते हैं, बल्कि समाज के विकास को भी बाधित करते हैं।
सरकारी वकील दिगंबर सिंह ने बताया कि गौरतलब है कि 1 मई 2024 को फराह की धारदार हथियार से काटकर निर्मम हत्या की गई थी। शादी के एक साल बाद ही महज बुलट मोटर साइकिल के लिए हत्या कर दी गई थी। इस मामले में पति, सास और ससुर को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई है।