बरेली।हाईवे पर अवैध वसूली करते हुए पकड़े जाने के बाद तत्कालीन एसपी ट्रैफिक कल्पना सक्सेना पर 15 साल पहले हुए हमले के मामले में एंटी करप्शन कोर्ट ने दोषियों को कड़ी सजा सुनाई है विशेष जज सुरेश कुमार गुप्ता ने सिपाही रावेंद्र सिंह, रविंद्र सिंह, मनोज कुमार और उनके सहयोगी चालक धर्मेंद्र को दोषी करार देते हुए 10-10 साल की सजा और 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।
मामला 2 सितंबर 2010 का है, जब कल्पना सक्सेना को सूचना मिली थी कि कुछ ट्रैफिक पुलिसकर्मी बरेली के थाना कैंट क्षेत्र के फरीदपुर रोड मजार के पास हाईवे पर ट्रकों से अवैध वसूली कर रहे हैं। कल्पना सक्सेना तत्काल अपनी सरकारी गाड़ी से मौके पर पहुंची और देखा कि कई ट्रक सड़क किनारे खड़े थे। इसी दौरान उन्होंने एक सफेद मारुति कार देखी, जिसमें सिपाही रविंद्र और रावेंद्र बैठे थे। जैसे ही इन पुलिसकर्मियों की नजर कल्पना सक्सेना पर पड़ी, उन्होंने सिपाही मनोज को गाड़ी स्टार्ट कर उनकी तरफ भगाने के लिए कहा।
सिपाही मनोज ने गाड़ी चलाकर एसपी को कुचलने की कोशिश की, लेकिन कल्पना सक्सेना ने जैसे ही गाड़ी में हाथ डालकर मनोज की गर्दन पकड़ने की कोशिश की, रविंद्र ने उनका हाथ पकड़ लिया और सिर पर वार करने की कोशिश की। इस दौरान गाड़ी तेज रफ्तार से बरेली की ओर दौड़ाई गई और कल्पना सक्सेना को करीब 200 मीटर तक घसीटा गया। अंततः गाड़ी को आड़ा-तिरछा चलाकर एसपी को सड़क पर गिरा दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गईं और अस्पताल में भर्ती कराई गईं।
इस मामले में ऑटो चालक धर्मेंद्र भी शामिल था, जो सिपाही रविंद्र का सगा भाई था और ट्रकों से अवैध वसूली कर रहा था। पुलिस ने इस घटना के बाद हत्या की कोशिश, अवैध वसूली और एंटी करप्शन एक्ट के तहत आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया अभियोजन पक्ष ने अदालत में 14 गवाहों के बयान पेश किए, जिनके आधार पर चारों आरोपियों को दोषी करार दिया गया। अभियोजन अधिकारी विपर्णा शर्मा और सरकारी वकील मनोज वाजपेयी ने इस मामले में अदालत में मजबूत पक्ष रखा, जिससे न्यायाधीश ने आरोपियों को कड़ी सजा सुनाई यह मामला अब तक की जांच प्रक्रिया और गवाहों के बयान के बाद अदालत में निर्णय तक पहुंचा वर्तमान में कल्पना सक्सेना गाजियाबाद में एडिशनल कमिश्नर के पद पर तैनात हैं और इस मामले में उनकी कड़ी मेहनत और संकल्प की सराहना की गई है।