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जिले में प्राइवेट स्कूलों द्वारा नियमों की लगातार की जा रही अनदेखी

ई-रिक्शा और ऑटो में ठूंसकर ढोए जा रहे स्कूली बच्चे

मोहित @express views
पीलीभीत ।जिले में प्राइवेट स्कूलों द्वारा नियमों की लगातार अनदेखी की जा रही है। अगर मानकों की बात की जाय तो पता चलता है कि अधिकतर निजी विद्यालयों में स्कूल बस नहीं है। जिसके कारण बच्चों को जान जोखिम में डालकर सवारी गाड़ियों के तरह बैठाकर स्कूल लाया जाता है। कई निजी विद्यालयों में ई रिक्शा से बच्चों को ले जाने और लाने का काम किया जा रहा है जबकि सभी स्कूल व्यवस्था के नाम पर खुद को एक दुसरे से बेहतर बताने के लिए बैनर और होर्डिंग विज्ञापनों पर लाखों खर्च करते हैं लेकिन जब बात सुविधा देने की हो तो जुगाड़ टेकनिक पर काम चलाते हैं।

प्रतीकात्मक पिक्चर

इन हालातों में बच्चों के अभिभावकों में असुरक्षा का डर बना रहता है।जब कि जिले के जिला शिक्षा पदाधिकारियों द्वारा इस संबंध में निजी विद्यालय के संचालकों व प्रबंधकों को कई बार निर्देश भी जारी किया पर उस पर अमल नहीं किया जा रहा है।

जिले के दर्जनों प्रस्वीकृत विद्यालयों में से भी कई ऐसे विद्यालय हैं जो कि सुरक्षित वाहन के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की परवाह नहीं करते हैं। निजी विद्यालयों को बच्चों को लाने ले जाने के लिए पीले रंग से पेंट किया हुआ बस जिसमें दो दरवाजा हो अधिकांश पब्लिक स्कूल के पास नहीं है। बस में फायर रेसिसटेंट सीट नहीं है।

बता दें की मानकों के अनुसार प्रत्येक स्कूल में ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था होती है जिसके अंतर्गत बस में सीसीटीवी कैमरे, जीपीएस सिस्टम, फायर एक्सटिंग्युसर, फर्स्ट एड बाक्स की समुचित व्यवस्था होना होता है। अधिकांश बस में बस के बाहर , स्कूल बस चालक, कंडक्टर का नाम व मोबाइल नंबर लिखा रहना चाहिए, बस में बच्चो की देखभाल के लिए व सुरक्षा के लिए प्रशिक्षित शिक्षक की भी प्रतिनियुक्ति का नियम है। किन्तु यहां सरेआम उलंघन होता है। हालत ऐसे है की 50 प्रतिशत निजी विद्यालय किराये के मकान में चलते हैं। स्कूल गेट पर सुरक्षा गार्ड आदि का भी ध्यान नहीं रखा जाता है। मानकों को ताक पर रखकर निजी विद्यालय चलाए जाते हैं।

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