मोहित कुमार जौहरी@ express views
पीलीभीत ।अब बच्चों को पढ़ाना बच्चों का खेल नहीं है। देश में बहुत कम ऐसे माता-पिता होंगे जिन्हें अपने बच्चे की स्कूल फीस को लेकर चिंता न होती हो। दूसरी तरफ स्कूल हैं कि हर बढ़ती क्लास के साथ फीस में 10 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी साथ साथ पुनः प्रवेश शुल्क लेते हैं। इतना ही नहीं साल भर किसी न किसी नाम पर स्कूल माता-पिता की जेब काटते ही रहते हैं। आखिर क्यों स्कूल अब शिक्षा केंद्रों की जगह किसी दुकान का सा रूप लेते जा रह हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2005 से 2015 के बीच स्कूल फीस में 150 फीसदी का इजाफा हुआ है। स्कूल पर सालाना खर्च 55,000 रुपये से बढ़कर 1,25,000 करते है। स्कूलों की ज्यादा फीस अभिभावको की मुसीबत बन रही है। स्कूलों द्वारा नर्सरी में प्राइमरी से ज्यादा फीस वसूली जा रही है। बच्चों के बढ़ते क्लास के साथ स्कूल फीस में भी बढ़ोतरी करते है। डोनेशन के नाम पर तो कभी बैग, जूतों, कपड़ों के मनमाने दाम लगा कर स्कूलों बच्चों के अभिभावकों से ज्यादा फीस वसूल रहे है। अधिकतर स्कूल किताबों के लिए दुकान तय करते हैं। इतना ही स्कूल इवेंट्स के नाम पर बार-बार वसूली की जाती है।
दो साल पहले मनमानी फीस वृद्धि पर अंकुश लगाने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए उत्तर सरकार ने इसके विधेयक का ड्राफ्ट तैयारकिया था । इसमें यह प्रावधान है कि निजी स्कूल अब हर साल एडमीशन फीस नहीं ले पाएंगे। प्रस्तावित विधेयक यूपी बोर्ड, सीबीएसई, आइसीएसई सहित प्रदेश में संचालित सभी बोर्ड के स्कूलों पर लागू होगा। मसौदे में 20 हजार रुपये सालाना से अधिक फीस लेने वाले स्कूल-कॉलेज पर घेरा कसा गया है। 20,000 रुपये वार्षिक से नीचे फीस लेने वाले स्कूल और प्री प्राइमरी स्कूलों पर विधेयक लागू नहीं होगा। हर स्कूल को अगले शैक्षिक सत्र में कक्षा 1 से कक्षा 12 तक के शुल्क का ब्यौरा सत्र 31 दिसम्बर से पहले अपनी वेबसाइट पर देना होगा। सत्र शुरू होने से 60 दिन पहले वेबसाइट पर खर्चे प्रदर्शित करने होंगे
विधेयक के अनुसार हर साल स्कूल एडमिशन फीस नहीं ले सकेंगे। यदि बच्चे का एडमिशन नर्सरी में हुआ है तो कक्षा पांच तक उसी स्कूल में पढऩे पर उसकी एडमिशन फीस हर साल नहीं देनी होगी। केवल कक्षा छह में आने पर दोबारा एडमिशन फीस लगेगी। इसके बाद कक्षा नौ व बाद में कक्षा 11 में आने पर ही एडमिशन फीस देनी होगी। कुछ फीस ऐच्छिक होगी। यानी बच्चा यदि उन सुविधाओं को लेगा तभी स्कूल उनकी फीस ले सकेंगे।
विधेयक में खास
- निजी स्कूल बिना पूर्वानुमति के कोई भी फीस नहीं बढ़ा सकेंगे
- स्कूल निर्धारित फीस से अधिक फीस नहीं ले सकेंगे
- निजी स्कूल छात्रों से किसी भी प्रकार का कैपिटेशन शुल्क नहीं लेंगे
- ली जाने वाली फीस की छात्रों को देनी होगी रसीद
- कॉपी-किताब, जूते-मोजे व डे्रस आदि के लिए किसी विशेष दुकान से खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा
रद्द हो सकती है मान्यता
तय फीस से ज्यादा फीस लेने पर शिकायत की जा सकेगी। इसमे शिकायत करने पर पहली बार गलती करने पर स्कूल पर 1 लाख, दूसरी बार पर 5 लाख रुपये का जुर्माना और तीसरी बार शिकायत मिलने पर स्कूल की मान्यता खत्म करने की सिफारिश के साथ 15% विकास शुल्क के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। यदि मामला मंडल स्तर पर नहीं सुलझेगा तो इसे राज्य स्तर पर कमेटी बनने तक प्राविधिक शिक्षा में बनी कमेटी में सुलझाया जाएगा।
शिवसेना जिलाध्यक्ष पंकज शर्मा ने एक्सप्रेस व्यूज को बताया कि उन्होंने जिलाधिकारी को सोशल मीडिया /व्हाट्सअप के जरिए डीएम व् अन्य उच्च अधिकारियों को इन स्कूलों की मनमानी के बारे में अवगत करवा दिया है । उन्होंने फीस बढोत्तरी को लेकर चेतावनी दी है कि यदि स्कूलों की मनमानी ऐसे ही चलती रही तो शिव सेना इस मुद्दे पर आंदोलन को बाध्य होगी ।