रिपोर्ट: महेश शर्मा /मोहित जौहरी
पीलीभीत। फर्जी अस्पताल संचालक द्वारा गैर कानूनी तरीके से प्रसव कराने के दौरान नवजात शिशु की मौत हो गई। आरोपी डॉ. ने पैसों के लालच में 24 घंटे बाद भी मृत शिशु का शव परिजनों को नही सौंपा। इतना ही नही फर्जी अस्पताल और फर्जी रूप से संचालित मेडिकल से संबंधित आरोपी डॉ.ने पीड़ित को बिल भी नही दिए , जबकि पीड़ित से 20 हजार रुपये डिलीवरी के नाम पर ठग लिए।पीड़ित ने पुलिस में शिकायत की तो फर्जी अस्पताल संचालक डॉ. की पूरनपुर पुलिस बकालत करने लगी। घंटो की मशक्कत के बाद भी पुलिस ने पीड़ित की तहरीर पर मुकदमा दर्ज नही किया।हां इतना जरूर है कि नवजात के शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए पंचनामा भर दिया है। मामले की भनक लगते ही एसडीएम हरिओम शर्मा ने एमओआईसी सीएचसी पूरनपुर से अस्पताल के रजिस्ट्रेशन और मानकों की जांच कर आख्या तलब की है।
बतातें चलें कि 22 फरबरी की सुबह 10 बजे थाना गजरौला क्षेत्र के गाँव सिसइयां निवासी सोमपाल धानुक अपनी पत्नी सुमन को प्रसव पीङा होने पर गाँव की आशा बबली के माध्यम से सीएचसी पूरनपुर लेकर गया था। सीएचसी में उपचार के दौरान प्रसव पीड़ा बड़ी तो आशा कार्यकत्री बबली ने सरकारी अस्पताल में पर्याप्त सुविधाएं और सही उपचार न होने की बात प्रसव पीड़ा से गुजर रही महिला के पति सोमपाल से कही। कमीशन के लालच में आशा सोमपाल की पत्नी को लेकर डॉ. टीएन सिंह के अपंजीकृत चंदन हेल्थ केअर , सिटी सेंटर पूरनपुर पहुंची। फर्जी अस्पताल संचालक डॉ. टीएन सिंह ने सुमन को भर्ती करने से पूर्व सोमपाल से 15 हजार रुपये जमा करा लिए। आरोपी डॉ. टीएन सिंह ने अनाधिकृत रुप सुमन का अपने अप्रशिक्षित स्टाफ के साथ मिलकर प्रसव कराया।बतातें चलें कि प्रसव कराने के लिए डॉ.टीएन सिंह के साथ कोई भी स्त्री रोग विशेषज्ञ मौजूद नही थीं। गलत तरीके से किये गए प्रसव के कारण प्रसूता के पहले बच्चे की जन्म के कुछ देर बाद मौत हो गई , लेकिन धन के प्रलोभन में डॉ. द्वारा नवजात शिशु का शव परिजनों को नही सौंपा गया। अपंजीकृत अस्पताल में अनट्रेंड स्टाफ द्वारा सोमपाल की पत्नी का उपचार किया जाता रहा ।
रविवार की सुबह सोमपाल ने पत्नी व मृत बच्चे को घर ले जाने की बात कही तो आरोपी डॉ.टीएन सिंह ने 7500 रुपये जमा करने के बाद पत्नी और बच्चे के शव को देने की बात पर अड़ गया। सोमपाल ने जब अपने द्वारा पूर्व में जमा किये 15 हजार रुपयों का बिल और मेडिकल से दवाइयों का बिल आरोपी डॉ. स्व मांगा तो आरोपी डॉ. ने सोमपाल के साथ जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए अभद्रता शुरू कर दी। मजे की बात तो यह है कि आरोपी डॉक्टर का अस्पताल भी रजिस्टर्ड नही है और न ही मेडिकल का लाइसेंस है।इन सबके बाद भी डॉक्टर खुद डिलीवरी कराने के लिए अधिकृत नही है और न ही अस्पताल में ट्रेंड स्टाफ है।पीड़ित द्वारा दी गई तहरीर पर कार्यवाही करने की बजाए भ्रष्ट पूरनपुर पुलिस द्वारा आरोपी डॉक्टर की बकालत शुरू कर दी गई।पुलिस डॉक्टर को बचाने के लिए नवजात के शव और प्रसूता को घर भिजवाने में जुट गई। बड़ी मशक्कत के बाद पुलिस नवजात के शव का पोस्टमार्टम कराने को तैयार हुई , लेकिन फर्जी रूप से अस्पताल और मेडिकल बदस्तूर पुलिस के संरक्षण में चलता रहा। एसडीएम पूरनपुर हरिओम शर्मा ने पूरे मामले की जांच कर एमओआईसी से रिपोर्ट तलब की है।