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स्वास्थ्य महकमे के अफसरों की सरपरस्ती में बर्षों से चल रहा है डॉक्टर टीएन सिंह का फर्जी अस्पताल

रिपोर्ट:-महेश शर्मा/ मोहित जौहरी

पीलीभीत। स्वास्थ्य महकमे के अफसरान भले ही अपने चेहरे को कितना भी साफ कर लें , लेकिन भ्रष्टाचार की कालिख अफसरों के मुँह को लगातार काला कर रही है। जनपद में फर्जी अस्पतालों और डॉक्टरों के खिलाफ प्रशासन की सीधी जंग चली थी , लेकिन स्वास्थ्य महकमे के भ्रष्ट अधिकारियों की सरपरस्ती में बर्षों से डॉक्टर टीएन सिंह फर्जी अस्पताल और मेडिकल का संचालन करता चला आ रहा है। स्वास्थ्य महकमे में अस्पताल का रजिस्ट्रेशन और मेडिकल का लाइसेंस नही है। डॉक्टर टीएन सिंह के इस फर्जी अस्पताल में एक भी ट्रेंड नर्स या स्टाफ भी नहीं है , उसके बाद भी इस फर्जी अस्पताल में स्वास्थ्य महकमे के आकाओं की सरपरस्ती में मरीजों को भर्ती करके उपचार के नाम पर उनकी जान लेने का सिलसिला लंबे समय से जारी है। फर्जी अस्पताल में मरीजों की मौतों पर हंगामा होता है। पुलिस में शिकायत भी होती है , उसके बाद भी सब ज्यों का त्यों चलता रहता है। स्वास्थ्य महकमे के अधिकारी न तो खुद सुधरने का नाम ले रहे हैं और न ही चिकित्सीय व्यवस्था को सुधारने की जहमत उठा रहे हैं।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने शिक्षा , स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर अपनी दोबारा सरकार बना ली। वही उत्तर प्रदेश में शिक्षा , स्वास्थ्य और सुरक्षा की बदहाली को लेकर आम आदमी के भीतर आक्रोश की स्थिति उत्पन्न हो रही है। इन सभी का जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि सरकारी मशीनरी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी विभिन्न महकमों के अधिकारियों के खिलाफ मिलने बाली शिकायतों पर यह सोचकर संज्ञान नहीं लेते हैं कि पीलीभीत एक छोटा जनपद , लेकिन शायद वह इस बात से अनजान है कि भ्रष्टाचार में डूबे अधिकारी बड़े-बड़े कारनामों को अंजाम देने और दिलाने में पीलीभीत से ट्रेनिंग प्राप्त करते हैं। भ्रष्टाचार की ट्रेनिंग का हब बना जनपद पीलीभीत इन दिनों सुर्खियों में है , लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि सत्ताधारी विधायक और मुख्यमंत्री पद के दावेदार रह चुके बीसलपुर विधायक रामसरन वर्मा की शिकायतों और संसद में उठाए गए सवालों पर अभी तक सरकार उदासीन है। इस उदासीनता का खामियाजा न नेताओं को भुगतना पड़ रहा है और न ही सरकारी मशीनरी को। सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ की उदासीनता का खामियाजा सिर्फ और सिर्फ पीलीभीत की जनता को विभिन्न प्रकार के उत्पीड़न को झेल कर उठाना पड़ रहा है। फिलहाल फर्जी अस्पताल में नवजात शिशु की मौत और डॉक्टर द्वारा वसूली गई फीस की रसीद न देने और फर्जी अस्पताल सहित फर्जी मेडिकल का संचालन करने की तहरीर पर पूरनपुर पुलिस द्वारा अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है , जिसके कारण आरोपी डॉक्टर टीएन सिंह बदस्तूर अपने फर्जी अस्पताल का संचालन कर रहा है। हैरत की बात तो यह है कि कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस द्वारा नवजात के शव का पंचनामा भरा गया। सोमवार को शव का पोस्टमार्टम होना था , लेकिन भ्रष्टाचार की हदें तो उस बक्त पार हो गईं जब पीएम हाउस पर मौजूद कर्मियों द्वारा मृत नवजात के पिता से दस हजार रुपये की मांग की गई और असमर्थता व्यक्त करने पर शव का घंटो बाद तक पोस्टमार्टम नही किया गया ।

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