मोहित कुमार जौहरी@express views
पीलीभीत।रेल विभाग भृष्ट अधिकारियों और ठेकेदारों द्वारा घटिया सामग्री से निर्माण कार्य कराने का धंधा बदस्तूर जारी है। जिम्मेदार अधिकारी अपनी हठधर्मिता दिखाते हुए लगातार घटिया सामग्री से निर्माण कराकर ठेकेदारों से मिलकर शासकीय धन का बंदरबांट कर रहे हैं। पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय गोरखपुर के अधिकारियों द्वारा भी घटिया निर्माण प्रकरण को संबंधित विजिलेंस टीम को नहीं सौंपा गया है । शायद उन्हें डर है कि अगर घटिया गुणवत्ता वाले निर्माण कार्यों की जांच विजिलेंस को सौंप दी गई तो, कहीं ना कहीं उन्हें भी किसी न किसी क्षति का सामना करना पड़ सकता है।
बता दें कि पूर्वोत्तर रेलवे के इज्जत नगर मंडल क्षेत्र पीलीभीत , बीसलपुर सहित अन्य क्षेत्रों में कई ठेकेदार घटिया सामग्री से विभिन्न निर्माण करा चुके हैं और वर्तमान में भी कई कार्य निर्माणाधीन है। जिले में बीसलपुर-शाहजहांपुर बड़ी रेलवे लाइन का कार्य चल रहा है। खुलेआम घटिया सामग्री का उपयोग विभागीय अधिकारियों की शह पर ठेकेदारो द्वारा हो रहा है। वहीं बीसलपुर बरखेड़ा में भी अभी भवन बनकर खड़े भी नही हुए कि प्लास्टर का चटकना फर्श जगह जगह से टूट होना भ्रष्टाचार को दर्शाता है। रेलवे जंक्शन पीलीभीत के बराबर में आरपीएफ पोस्ट का निर्माण कार्य चल रहा है और रेलवे कर्मचारियों के लिए आवासीय भवनों का भी निर्माण कराया जा चुका है , जिसमें की बेहद घटिया किस्म की सामग्री का प्रयोग कर निर्माण को अंजाम दिया गया है। भ्रष्ट अधिकारी अनुचित लाभ लेने के लिए लगातार ठेकेदारों का भुगतान कराने के लिए अपनी-अपनी आख्या प्रेषित कर धन रिलीज करने में जुटे हैं।
खबरे छापने पर क्या बोल गए जिम्मेदार
जब पत्रकारों द्वारा लगातार अपनी खबरों के माध्यम से पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय गोरखपुर सहित रेल मंडल इज्जत नगर और रेल मंत्रालय के अधिकारियों को कुंम्भकर्णी नींद से जगाने की कोशिश की गई तब एक ठेकेदार व एक अधिकारी ने ये तक बोल दिया कि खबरे छाप कर कुछ नही कर पाओगे पत्रकार साहब सिर्फ ठेकेदार का पेमेंट ही रुकवा सकते हो। एक ठेकेदार ने ये तक बोल दिया कुछ नही कर पाओगे अपनी सोंचो या तो झूठे मुकदमे में फंसवा देंगे या समझ जाओ? इसलिये समझौता कर लो सभी करते हैं। इस तरह की भाषा और हठधर्मिता अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत ही दर्शाती है।
अब सवाल ये उठता है कि इतना भ्र्ष्टाचार होने पर भी सम्बन्धित अधिकारी व ठेकेदार पर उच्च अधिकारियों द्वारा कोई बड़ी कार्यवाही क्यों नही की जाती? क्यों नही भ्रस्ट अधिकारी को बर्खास्त नही किया जाता? क्यों नही ठेकेदार का लाइसेंस निलम्बित किया जाता है?