मोहित कुमार जौहरी@express views
पीलीभीत। एक निजी अस्पताल की बीएएमएस महिला चिकित्सक पर प्रसूता की हत्या का आरोप पीडित ने लगाते हुए जिलाअधिकारी, मुख्यमंत्री व मानवाधिकार आयोग से शिकायत की है जिसमें जिलाधिकारी दवारा मामले की जाॅंच के निर्देश दिये गये हैं।
प्राप्तजानकारी के अनुसार माधोटांडा रोड गौहनिया चैराहे के निकट गायत्री अस्पताल में 29 अगस्त 2020 को थाना गजरौला घेरा रिछोला निवासी मोरध्वज पुत्र लोकी राम ने अपनी पत्नी निशा वर्मा को प्रसव पीडा होने पर भर्ती कराया था। जहां मौजूद बीएएमएस महिला चिकित्सक निर्मला गंगवार दवारा प्रसूता को भर्ती किया गया। जांच होने के बाद महिला चिकित्सक ने प्रसूता के पति महिला के पेट में बच्चा बडा होने की बात कहते हुए उसका आॅपरेशन करने की बात की । जिसके एवज में प्रसूता के परिवार से 28 हजार रूपये जमा करवा लिये गये। मृतका के पति का आरोप है कि आॅपरेशन के दौरान पुत्र प्राप्ति के बाद भी प्रसूता की ब्लीडिंग होती रही। जब महिला के पति ने ब्लीडिंग होने बात डाॅं निर्मला से की तो उन्होंने बौखलाकर मृतका के पति की फटकार लगाते हुए कहा कि खामोश रहो नही तो अपना मरीज तुरंत यहां से ले जाओ। मोरध्वज द्वारा दिये गये शिकायती पत्र के अनुसाार आपरेशन के 12 घंटे बाद ही प्रसूता निशा की मृत्यु अत्यधिक ब्लीडिंग होने के कारण हो गयी थी। आरोप ये भी है कि प्रसूता की मौत से घबराई डा0 निर्मला गंगवार ने आनन फानन में एम्बूलेंस के माध्यम से प्रसूता के शव को उसके घर भिजवा दिया।
जब इस विषय में डा0 निर्मला गंगवार से एक्सप्रेस व्यूज संवाददाता ने बात की तो उन्होने बताया कि उन्होने महिला का आपरेशन नहीं किया था बल्कि उनके पैनल में उपस्थित जिला चिकित्सालय के रिटायर्ड (वर्तमान मेें संविदा पर कार्यरत) डा0 आर0 एस0 यादव ने प्रसूता का आपरेशन किया था। डा0 निर्मला से जब जानकारी मांगी गई कि आपरेशन के दौरान कौन कौन मौजूद था तब उनको किसी का ठीक से नाम ही नही याद आया और हड़बड़ाकर बोलीं जो हमारे पैनल में रजिस्टर्ड लोग हैं वही रहे होंगे।जब गायनोलोजिस्ट के बारे में जानकारी मांगी गई तो उन्होने खुद को ही गायनोलोजिस्ट बताते हुए कहा कि मै खुद बीएएमएस हूं और इसके लिए सक्षम हूं ।फिलहाल सर्जन ऑपरेशन करता है तो सर्जन ने ही ऑपरेशन किया है। लेकिन जब केसशीट उनसे दिखाने को कहा तो उन्होने केस शीट सीएमओ आफिस में होने की बात की।
वहीं जब डा0 आर0 एस0 यादव से इस बारे में जानकारी मांगी गई तो उन्होने बताया कि आपरेशन उन्होने ही किया था। लेकिन जब उनसे उस वक्त मौजूद महिला व अन्य स्टाफ के बारे में जानकारी चाही तो वे भी सकपका गये। लड़खडाती आवाज में उन्होने बताया कि उस वक्त तीन लड़के गायत्री अस्पताल के मौजूद थे। जब उनसे पूछा गया कि डा0 निर्मला गंगवार कहां थी तो उन्होने बताया कि वे उस वक्त वहां मौजूद नहीं थीं। जब उनसे पूछा गया कि कोई महिला प्रसव के दौरान नहीं थी तो लड़खडाती आवाज में अस्पष्ट उन्होने बताया कि एक दो थीं। यानि उनको मौजूद लोगों संख्या भी नहीं मालूम है।
-अगर मान भी लें कि डा0 निर्मला गंगवार ने आपरेशन किया है तो जानकारों की माने तो एक बीएएमएस डाक्टर सर्जीकल डिलीवरी नही कर सकती।
-गायत्री अस्पताल में मौजूद एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उस दिन डा0 यादव ने आपरेशन नहीं किया था।
-जब डा0 निर्मला गंगवार से पूछा गया कि उस वक्त एनेस्थेटिक कौन थे तो उन्होने कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा बल्कि लड़खड़ाती आवाज में कहा कि डा0 रेहान का ही पेपर लगा हुआ है लेकिन हम किसी को भी बुला लेते हैं। लेकिन नाम फिर भी नहीं बता पायीं।
-दोनो ही चिकित्सकों के ब्यानों में अन्तर से स्पष्ट है कि दोनो ही झूठ बोल रहे हैं।
तो क्या अबैध रूप से चलाया जा रहा है गौहनिया चैराहे पर स्थित गायत्री अस्पताल। सू़त्रों की माने तो अस्पताल के कागजों में पंजीकृत डाक्टर तो कभी अस्पताल आते ही नही हैं। डा0 शैलेंद्र गंगवार भी पहले आया करते थें ऐसा तो डा0 निर्मला ने भी मीडिया को दिये अपने ब्यान में कहा है।
जब सब कुछ गलत तरह से गायत्री अस्पताल संचालित है तो आखिर प्रशासन को कार्यवाही के लिए किसका इंतजार है। आखिर लापरवाह जिला प्रशासन गायत्री अस्पताल प्रबंधन, पंजीकृत डाक्टरों, आरोपी मुख्य चिकित्सक डा0 निर्मला पर गंभीर धाराओं में कार्यवाही कब करेगा।