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जिलाधिकारी ने रोडवेज बस अड्डे के लिए फौजी पड़ाव की जमीन को माना उपयुक्त

रिपोर्ट:विनय सक्सेना

अवैध कब्जेदारों को हाईकोर्ट में भी नहीं मिली कोई राहत

सरकारी जमीन पर स्थापित आरा मशीनों के मालिक लाइसेंस निरस्त होने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय गए, जहां उन्होंने याचिका दायर कर आरा मशीन का लाइसेंस निरस्त किए जाने के सामाजिक वानिकी निदेशक के आदेश को चुनौती दी लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कोई अंतरिम राहत नहीं दी। सामाजिक वानिकी निदेशक संजीव कुमार ने बताया कि लाइसेंस निरस्तीकरण के बाद तीनों आरा मशीन मालिक उच्च न्यायालय में गए लेकिन न्यायालय से कोई स्टे नहीं मिला। उच्च न्यायालय ने वन विभाग से जवाब मांगा था जोकि वन विभाग की ओर से दाखिल करा दिया गया है, चूंकि आरा मशीन की जगह राज्य सरकार के स्वामित्व की होना प्रमाणित है और सरकारी जमीन पर आरा मशीन का लाइसेंस नहीं दिया जा सकता है।

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