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हिंदी दिवस: “चाटुकारिता के फंडे बदल रहे हैं।,आ रहा चुनाव तो झण्डे बदल रहे हैं।”

*बरेली कारगार में हिंदी दिवस पर आयोजित हिअ कवि सम्मेलन बरेली।जिला कारागार बरेली में हिंदी दिवस के उपलक्ष में 14 सितंबर को कवि सम्मेलन आयोजित किया गया ।कार्यक्रम की अध्यक्षता हरीश शर्मा यमदूत ने की ।कार्यक्रम का संचालन रोहित राकेश ने किया । अन्त में आयोजक जेल अधीक्षक श्री विजय विक्रम सिंह ने सभी कवियों का आभार व सम्मान किया । शुभारम्भ एकता भारती की सरस्वती वंदना से हुआ।टूंडला फिरोजाबाद से सुबोध सुलभ ,हरदोई से अजीत शुक्ला ,पीलीभीत से एकता भारती, बदायूं से कमल कांत तिवारी, मुंबई से हरीश शर्मा “यमदूत” बरेली से नगमा बरेलवी राजीव गोस्वामी व रोहित राकेश ने कार्यक्रम में काव्य पाठ किया। हरीश यमदूत ने ” भूत और अफसर ” रचना में उनकी परस्पर तुलना करते हुए कहा –
सूखा में क्षेत्र के अफसरों की होती चाँदी । भूत खुश होयँ सोच सोच अपनी बढ़ रही आबादी ।।ओज कवि कमलकांत तिवारी ने कहा- हर जुल्म और जालिम को सवरने नहीं देंगे
भारत की सरजमी को बिखरने नहीं देंगे
ऊँचा सदा ही विश्व में झंडा मेरा रहे
हम रंग-तिरंगे के उतरनेने नहीं देंगे।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए रोहित राकेश ने कहा “कैसे बचेगी हिंदी है यह प्रश्न दोस्तों ,उत्तर यही है आप जरा मन बनाइए हास्य कवि अजीत शुक्ल ने कहा “चाटुकारिता के फंडे बदल रहे हैं।,आ रहा चुनाव तो झण्डे बदल रहे हैं। टूंडला से आए सुबोध सुलभ ने कहा “हिंदी है हमारी भाषा इसका नहीं है अनपढ़ से शुरू हो ज्ञानी तक जाती है।पीलीभीत से आई कवियत्री एकता भारती ने कहा – विश्व को दिया निदान,जीवन विधान ज्ञान
सत्यम शिवम सुंदरम हिंदी भाषा है। नगमा बरेल्वी ने कहा
केधियो पर भी अगर प्यार लुटाया जाए।दोस्त जेल का माहौल बदल सकता है।राजीव गोस्वामी ने कहा- थोड़े ही दिनों में मेरी ये भूल मुझे रुलाने लगी l क्योंकि मेरी पत्नी भी मुझे पापा कह कर बुलाने लगी

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