जिलाधिकारी ने रोडवेज बस अड्डे के लिए फौजी पड़ाव की जमीन को माना उपयुक्त
रिपोर्ट:विनय सक्सेना

- उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के सुझाव पर जिलाधिकारी गंभीर
- यूनियन के शिष्टमंडल ने जिलाधिकारी से की मुलाकात, दिया ज्ञापन
- फौजी पड़ाव की सरकारी जमीन पर बनी है अवैध आरा मशीनें
- राजस्व विभाग की रिपोर्ट पर निरस्त हो चुके हैं आरा मशीनों के लाइसेंस
पीलीभीत। जिलाधिकारी ने माना कि नए प्रस्तावित रोडवेज बस अड्डे के लिए फौजी पड़ाव की जमीन सबसे उपयुक्त है। इस जगह का सुझाव उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन ने शुक्रवार को जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर उनके समक्ष रखा, जिस पर जिलाधिकारी ने फौजी पड़ाव की सरकारी जमीन पर ही नए रोडवेज बस अड्डे की स्थापना कराने का आश्वासन दिया। उन्होंने भी माना कि इससे बेहतर कोई जगह हो ही नहीं सकती।
उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन का शिष्टमंडल शुक्रवार को जिलाधिकारी पुलकित खरे से मिला और उन्हें ज्ञापन दिया। ज्ञापन में कहा गया कि शहर में लकड़ी मंडी स्थित राजस्व ग्राम पकड़िया नौगवां चक मुस्तकिल अंदर चुंगी परगना व तहसील सदर पीलीभीत में गाटा संख्या 683/0012 व 684/0607 राज्य सरकार के साहिबान बोर्ड माल जेरे इंतजाम फौजी पड़ाव की मालिकान में दर्ज है। यह भूमि एकता सरोवर के उत्तर में स्थित है। वर्तमान में गाटा संख्या 683/0012 व 684/0607 पर मोहल्ला बशीर खां निवासी सरताज आलम पुत्र समीउल्लाह, श्रीमती फिरदौस बेगम पत्नी स्वर्गीय रियासत उल्ला व मोहल्ला नई बस्ती निवासी अजय कंसल पुत्र मुनीश चंद्र की अवैधानिक तरीके से आरा मशीन स्थापित है, चूंकि यह जमीन जांच में राज्य सरकार की संपत्ति होना प्रमाणित हो चुका है। इसलिए सामाजिक वानिकी निदेशक ने इन तीनों आरा मशीनों का लाइसेंस भी निरस्त कर दिया है। इन भू माफियाओं से जमीन को कब्जा मुक्त कराने में किसी भी प्रकार की कोई कानूनी अड़चन नहीं है। बावजूद इसके अभी तक इस बेशकीमती जमीन को कब्जा मुक्त नहीं कराया गया है।
ज्ञापन में कहा गया कि जनहित के कार्यों के लिए यह बेहद उपयोगी जमीन है। इस नजूल भूमि का जनहित में रोडवेज बस स्टैंड के लिए भी बेहतर उपयोग किया जा सकता है। नया रोडवेज बस स्टैंड बनना प्रस्तावित भी है। इस भूमि के दो तरफ चौड़ी सड़क है, इसलिए रोडवेज की बसों के आवागमन में भी सुगमता रहेगी और नगरवासियों को शहर में ही सुरक्षित स्थान पर रोडवेज बस स्टैंड उपलब्ध हो सकेगा। वैसे भी शहर से दूर बीसलपुर रोड पर जिस स्थान पर नया रोडवेज बस स्टैंड स्थापित करने पर विचार मंथन चल रहा है, वह स्थान किसी भी तरह से यात्रियोंं के लिए सुरक्षित नहीं है।
ज्ञापन में मांग की गई कि गाटा संख्या 683/0012 व 684/0607 मिल्कियत राज्य सरकार से कथित आरा मशीन संचालकों का अवैध कब्जा हटवा कर उस भूमि पर जनहित में प्रस्तावित रोडवेज बस स्टैंड की स्थापना कराने के प्रस्ताव पर विचार किया जाए। ज्ञापन के बाद वार्ता में जिलाधिकारी ने कहा कि यह बेहतर जगह रोडवेज के लिए साबित होगी क्योंकि इसकी दोनों और चौड़ी सड़क है, जिससे एक तरफ से बसों का प्रवेश और दूसरी ओर सड़क से बसों का आसानी से निकास हो सकेगा। ज्ञापन देने वालों में यूनियन के मंडल अध्यक्ष निर्मल कांत शुक्ला मंडल संगठन मंत्री विनय सक्सेना पत्रकार मोहित जौहरी, युवा पत्रकार परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अरुण भारद्वाज आदि थे।

अवैध कब्जेदारों को हाईकोर्ट में भी नहीं मिली कोई राहत
सरकारी जमीन पर स्थापित आरा मशीनों के मालिक लाइसेंस निरस्त होने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय गए, जहां उन्होंने याचिका दायर कर आरा मशीन का लाइसेंस निरस्त किए जाने के सामाजिक वानिकी निदेशक के आदेश को चुनौती दी लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कोई अंतरिम राहत नहीं दी। सामाजिक वानिकी निदेशक संजीव कुमार ने बताया कि लाइसेंस निरस्तीकरण के बाद तीनों आरा मशीन मालिक उच्च न्यायालय में गए लेकिन न्यायालय से कोई स्टे नहीं मिला। उच्च न्यायालय ने वन विभाग से जवाब मांगा था जोकि वन विभाग की ओर से दाखिल करा दिया गया है, चूंकि आरा मशीन की जगह राज्य सरकार के स्वामित्व की होना प्रमाणित है और सरकारी जमीन पर आरा मशीन का लाइसेंस नहीं दिया जा सकता है।