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एक ऐसा चुनावी महोत्सव जिसमें हर दल को कम या ज्यादा मिली खुशियों की सौगात।

पुष्पेंद्र सिंह गंगवार@एक्सप्रेस व्यूज चुनाव की अनंत कथाओं और कड़ुआहटों के परे यह एक ऐसा चुनावी महोत्सव रहा जिसमें हर व्यक्ति हर दल के लिए उसके हिस्से की अलग से कम या ज़्यादा खुशी देने की संभावना बची रही.

अभी दो राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ दिल्ली में MCD नगर निगम के चुनाव हुए और साथ ही उत्तर प्रदेश में उपचुनाव भी. जिसमें कॉंग्रेस, भाजपा, आप, समाजवादी पार्टी प्रमुख थे.
हाल ही में विभिन्न विजयी पार्टियों के चुनावी परिणाम कुछ इस प्रकार रहे।
MCD- आप
हिमाचल प्रदेश – कॉंग्रेस
गुजरात – बीजेपी
उपचुनाव – सपा

जहां एक ओर आम आदमी पार्टी ने निगम चुनाव में भाजपा को 15 साल की सत्ता से मुक्त किया और दुहरी खुशी देने के लिए गुजरात चुनाव के फलस्वरुप राष्ट्रीय पार्टी होने का गौरव प्राप्त किया. वहीं कॉंग्रेस के लिए संतोषजनक बात रही जब उन्होंने हिमाचल प्रदेश में अपनी सरकार बनाई और भाजपा से वह राज्य वापस लिया.

 वही भाजपा ने जिस प्रकार का प्रदर्शन गुजरात के चुनाव में किया वह सभी के लिए स्तब्ध करने वाला रहा, यह जीत भाजपा के मुकुट में एक मड़ी की तरह सदैव सजी रहेगी जो 25 वर्ष के लगातार शासन के पाश्चात् मिली है. 

उत्तर प्रदेश में हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने अपनी सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखकर अपनी विश्वसनीयता को, अपनी पहचान को जीवित रखा.

 तो यह ऐसा चुनाव होगा जिसने किसी को भी पूर्ण संताप या पूर्ण संतोष नहीं दिया और सबके हिस्से में अपनी अपनी खुशियों की जगह को बचा कर रखा गया.

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