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उत्तर प्रदेश पीलीभीत राज्य 

साहब ! आखिर कब होगी फर्जी डिग्रीधारी डॉक्टर की गिरफ्तारी

मोहित जौहरी@ express views
पीलीभीत । शव का वेंटीलेटर पर इलाज करने वाले डॉक्टर योगेंद्र नाथ की डिग्री फर्जी मानते हुए आरोपी डॉक्टर के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा तो प्रशासन ने पंजीकृत कर लिया किन्तु अभी तक आरोपी डॉक्टर की गिरफ्तारी न होने के कारण जनता में प्रशासन के प्रति कई सवाल उठ खड़े हुए हैं।
जहाँ मामूली से मामूली आरोप में पुलिस प्रशासन किसी आम आदमी पर त्वरित कारवाही कर उसको जेल भेजने में नहीं हिचकिचाता है । वहीँ सत्ता में अपना खासा प्रभाव रखने वाला फर्जी डिग्रीधारी डॉक्टर खुले आम अपने बचाव के लिए जुगत लगाता फिर रहा है । वहीँ प्रशासन को हिदायत दिए तीन दिन हो गए लेकिन अस्पताल अभी तक खुला है । उसमें संचालित मेडिकल स्टोर से लगातार दवाइयों का वितरण आज भी चल रहा है और उसमें मरीजों की आवाजाही देखी जा रही है। एक ओर जहां कुछ दिनों पूर्व लाइफ लाइन अस्पताल जिसको प्रशासन ने सीज कर अपनी गर्दन बचाने का प्रयास किया जबकि सूत्रों के अनुसार अप्रैल माह से लाइफ लाइन अस्पताल बंद पड़ा था और उसकी साफ़ सफ़ाई का कार्य उसमें हो रहा था । वहीँ दूसरी ओर प्रशासन इतनी बड़ी धाराएं लगने के बाबजूद मैकू लाल वीरेंदर नाथ हॉस्पिटल को पूर्ण रूप से आज तक सीज करने की जहमत नहीं उठा सका है ।
आपको बता दें कि पीलीभीत जिले के पूरनपुर तहसील के सिकराना गांव के निवासी राजू को उसके घरवाले घायल अवस्था में7 जून 2019 को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के मैकूलाल वीरेंद्र नाथ अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां डॉक्टरों ने पहले एग्रीमेंट पेपर पर दस्तखत करवा लिए । और मरीज़ की हालत गंभीर बताते हुए40 हजार रूपए तत्काल जमा करवाते हुए मरीज को आई सी यू विभाग में वेंटिलेटर पर रखवा दिया । मृतक की पत्नी शारदा देवी ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में जानकारी दी कि आई सी यू में भर्ती करने के बाद उनसे 60 हजार रूपए और जमा कराये गए ।
अगले ही दिन सुबह जब परिवारवालों ने राजू को घर ले जाने कि बात कि तो डॉ.योगेंद्र नाथ मिश्रा ने मरीज कि हालत को गंभीर बताते हुए 72 घंटे से पहले छुट्टी करने से इंकार कर दिया । परिजनों को किसी अनजान भय कि शंका हुयी तब उन्होंने अस्पताल प्रशासन पर मरीज की स्तिथि जानने का प्रयास किया, जिस पर अस्पताल प्रशासन अपनी गर्दन फंसती देख उसको किसी अन्य अस्पताल में रेफर कर दिया ।वहीँ दम तोड़ चुके राजू के घर वालों ने जब पोस्टमार्टम करवाया तब पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुए खुलासे को देख सभी हैरान रह गए । पोस्टमार्टम रिपोर्ट में राजू कि मौत 12 से24 घंटे पहले होना दर्शाया गया । यानि अस्पताल एक लाश का ट्रीटमेंट कर रहा था । जब मामला मीडिया में उछला तब जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव के आदेश पर चिकित्साधिकारी ने तीन सदस्यीय एक कमेटी गठित कर जांच बैठा दी। जांच के दौरान ही चिकित्सक की डिग्री भी फ़र्ज़ी पायी गयी ।वहीँ दूसरी ओर प्रशासन ने अस्पताल पर करवाही करते हुए I.C.U. और उसका चैम्बर तो सीज कर दिया । लेकिन जनता में सुगबुगाहट है कि आखिर आरोपी फर्जी डिग्रीधारी डॉक्टर की कब गिरफ्तारी होगी ।

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