धोखाधड़ी करने में माहिर महाजन परिवार ने की है और भी कई लोगों के साथ धोखाधड़ी
रिपोर्ट:महेश शर्मा


पीलीभीत। जमीनों की अबैधानिक तरीके से खरीद-फरोख्त कर जालसाज सुभाष महाजन के परिजनों ने दर्जनों लोगों को धोखाधड़ी का शिकार बनाया है। गाँव बरहा निवासी ब्रजलाल पुत्र धनी और शाहगढ़ निवासी गुरमुख सिंह एवं सुखजिंदर सहित दर्जनभर लोगों को ऋषि महाजन , रितु महाजन , गीता रानी ने धोखाधड़ी का शिकार बनाने के उद्देश्य से उपनिबंधक अविनाश पांडेय के कार्यकाल में जमीनी क्रय-विक्रय करने के लिए अलग-अलग तिथियों को कई बैनामे कराए। रजिस्टर्ड कराए गए बैनामों में कृषि भूमि को आवासीय और वाणिज्यिक में तब्दील कराए बिना ही जालसाजी के आरोपी महाजन परिवार के लोगों ने हेक्टेयर की बजाए वर्गमीटर में बैनामे कराए हैं। इतना ही नही बैनामों में गाटा संख्या और रकबा का कहीं भी जिक्र नही किया गया है। महाजन परिवार द्वारा जालसाजी करने के इस शातिराना अंदाज की हर तरफ चर्चा है।
बताते चलें कि महाजन परिवार के शातिर लोगों ने बैनामा रजिस्टर्ड कराते समय रजिस्ट्री ऑफिस के अधिकारी और कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते खरीद-फरोख्त की गई जमीनों के गाटा गई जमीनों के गाटा संख्याओं का हवाला नही दिया है। सूत्रों की माने तो महाजन परिवार के इन शातिर लोगों ने बैनामा रजिस्टर्ड कराते समय गाटा संख्याओं का उल्लेख निर्धारित जमीन से अधिक जमीन खरीदने और बेचने के उद्देश्य से नही किया है , जिसके चलते दर्जनभर से अधिक लोगों को महाजन परिवार के शातिराना अंदाज का शिकार होना पड़ा है।इतना ही नही रजिस्ट्री ऑफिस के अधिकारी और कर्मचारियों की मिलीभगत के कारण कृषि भूमि को किसी बैनामे में आवासीय और किसी बैनामे में वाणिजियक भूमि होना दर्शाया है। मजे की बात तो यह है कि जब महाजन परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा भूमि क्रय करने के दौरान बैनामे में जमीन का गाटा संख्या ही अंकित नही हैं तो उन्होंने किस जमीन को खरीदा है और वह किसकी जमीन को बेच रहे हैं। राजस्व विभाग के मुताबिक महाजन परिवार न तो इन ऐसे बैनामों के आधार पर किसी जमीन के मालिक हुए और न ही उनसे खरीदने बाला अपना स्वामित्व सिद्ध कर सकता है। ऐसे बैनामों के अनुसार किसी भी जमीन पर स्वामित्व का निर्धारण नही किया जा सकता। सुभाष महाजन , गीता रानी , ऋषि महाजन , रितु महाजन आदि लोगों के द्वारा कराए गए बिना गाटा संख्या के बैनामों के बाद भी राजस्व विभाग के मौजूदा प्रभारी राजस्व निरीक्षक ओमप्रकाश श्रीवास्तव के कारण मनमर्जी जमीनों पर इन शातिर लोगों का स्वामित्व होता चला गया और लगातार जमीनों की खरीद-फरोख्त होती गई। फिलहाल अब इस तरह के बैनामों की पड़ताल की जा रही है और इस परिवार के लोगों का शिकार हुए क्रेता-विक्रेता अपनी – अपनी जमीनों के प्रति महाजन परिवार के लोगों के लोगों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए एक जुट होने लगे हैं।ज्ञात रहे कि महाजन परिवार के विरुद्ध पूर्व से जमीनी धोखाधड़ी का मामला प्रचलित है। एक के बाद एक हम अपने पाठकों को महाजन परिवार के कारनामों से रूबरू कराते रहेंगे।