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कर्मचारी को विद्यालय प्रबन्धन की शिकायत करना पड़ा महंगा, प्राचार्य ने महाविद्यालय से निकाला

  • दैनिक कर्मचारी का उत्पीड़न जारी
  • प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा ने लिया संज्ञान मचा हड़कंप

फरीदपुर (बरेली) | राजकीय महाविद्यालय में तैनात एक दैनिक कर्मचारी का आरोप है कि उस पर प्राचार्य और स्टाफ द्वारा मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत को वापस लेने का दबाव बनाया गया है | इस मामले में दैनिक कर्मचारी नरेश पाल पुत्र सोहनलाल मौर्य ने बताया कि वह महाविद्यालय में 20 जुलाई 2012 से दैनिक कर्मचारी के रूप में कार्य करता आ रहा है | इस दौरान उसने बी ए फर्स्ट ईयर प्रवेश से लेकर अन्य कंप्यूटर सहित अन्य कार्य किए जिसका भुगतान भी उसे चेक द्वारा किया गया | यही नहीं महाविद्यालय के अंदर दैनिक कर्मचारी रजिस्टर में भी उसके हस्ताक्षर हैं आरोप है कि वह दैनिक कर्मचारी रजिस्टर हटा दिया गया है |

पीड़ित कर्मचारी

इस मामले में दैनिक कर्मचारी ने मुख्यमंत्री पोर्टल से लेकर प्रधानमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई जोकि कि प्राचार्य के गले की हड्डी बन गई | वह शिकायत जब एमजेपी रोहिलखंड से राजकीय महाविद्यालय पहुंची तो राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ इकबाल हबीब ने विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी को अवगत करा दिया कि इस नाम का कोई भी व्यक्ति न्यूनतम मजदूरी के अंतर्गत कार्यरत नहीं है ना ही दैनिक कर्मचारी के रूप में कार्यरत है | जब यह भनक दैनिक कर्मचारी को लगी तो दैनिक कर्मचारी ने मामले की शिकायत उच्च शिक्षा निदेशालय प्रयागराज को की | इस मामले को लेकर महाविद्यालय प्रशासन ने कर्मचारी के ऊपर दबाव बनाया कि पोर्टल पर की गई शिकायत वापस ले लें अन्यथा महाविद्यालय से निकाल दिया जाएगा यहां बता दें कि दैनिक कर्मचारी आज भी राजकीय महाविद्यालय में कार्य कर रहा था और महाविद्यालय प्रशासन ने दबाव बनाया कि शिकायत वापस लेने | इस मैटर को अब प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा द्वारा संज्ञान में लिया गया है और यह आदेश उच्च अधिकारियों को दिए गए हैं कि इस मामले को 15 दिन में संज्ञान में लेते हुए आख्या उपलब्ध कराई जाए | प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा के इस आदेश पर हड़कंप मच गया है | विश्वविद्यालय प्रशासन से लेकर स्थानीय राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य और अन्य कर्मचारियों में हड़कंप मच गया इसको लेकर आज महाविद्यालय के स्टाफ द्वारा कर्मचारी पर दबाव बनाया गया | कर्मचारी ने समाजसेवी अमित तोमर एडवोकेट से वार्ता की तब समाजसेवी ने कहा कि हरसंभव मदद की जाएगी | कर्मचारी ने कहा है कि शिकायत वह वापस नहीं लेगा और आर-पार की लड़ाई लड़ेगा | 24 फरवरी को प्राचार्य ने यह कहते हुए महाविद्यालय से निकाल दिया कि अब महाविद्यालय मत आना जब जरूरत पड़ेगी तब बुलाया जाएगा |

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