डीएम के आदेश पर अब सफाईकर्मियों का संबद्धीकरण खत्म, गांवों के सफाईकर्मियों को अपने कार्यालयों से कर रखा था संबद्ध।

नन्दकिशोर शर्मा@express views
बरेली। डेंगू और मलेरिया के खौफ से दहले जिले में हाल ही में डीएम के रिपोर्ट तलब करने के बाद खुलासा हुआ कि 160 गांवों के सफाईकर्मियों को तो अफसरों ने अपनी ही चाकरी में लगा रखा है।
डीएम के आदेश पर अब इन सफाईकर्मियों का संबद्धीकरण खत्म कर गांवों में भेजा जा रहा है लेकिन उनके नियम-कायदों की धज्जियां उड़ाकर उन्हें अपने कार्यालयों से संबद्ध करने का काफी खामियाजा इन गांवों के लोग उठा चुके हैं। संक्रामक रोगों के इस सीजन में आगे भी उठाएंगे।
गांवों की सफाई के लिए बसपा के शासन में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के आदेश पर सफाईकर्मियों की नियुक्ति की गई थी। बसपा की सरकार जाते ही अफसरों ने इन सफाईकर्मियों को हथियाना शुरू कर दिया। कुछ को निजी कामकाज के लिए बाकायदा कार्यालयों से संबद्ध कर लिया और तमाम को अनाधिकारिक तौर पर दूसरे कामों में लगा दिया। कई सफाईकर्मी जनप्रतिनिधियों का भी हुकुम बजाने लगे।
इससे अफसरों को तो ड्राइवर, अर्दली, चपरासी और घरेलू नौकर की समस्या दूर हो गई लेकिन गांवों की सफाई व्यवस्था चौपट हो गई। गांवों में सफाईकर्मियों के न आने की शिकायतें आम हो गईं। डेंगू और मलेरिया के प्रकोप से जूझ रहे जिले में डीएम रविंद्र कुमार के आने के बाद अलग-अलग विभागों और अफसरों की गाड़ियां चलाने के लिए संबद्ध किए गए 160 सफाई कर्मियों को अब गांवों में तैनात किया जा रहा है।
बता दें कि जिले में 1188 ग्राम पंचायतें और 2157 राजस्व गांव हैं। इनमें से 157 गांव गैरआबाद हैं। 1843 गांवों में ठीकठाक आबादी है। जिले में सफाईकर्मियों की संख्या भी 1843 है, यानी हर गांव में एक सफाईकर्मी तैनात होना था लेकिन इनमें से सैकड़ों को उनके मूल काम से हटा लिया गया था।
विकास भवन के हर अफसर की खिदमत के लिए कई-कई सफाईकर्मी विकास भवन के लिए वैसे तो अलग से सफाईकर्मियों की तैनाती है लेकिन इसके बावजूद यहां परिसर की सफाई के लिए चार और शौचालयों की सफाई के लिए दो उन सफाईकर्मियों को संबद्ध कर लिया गया था जिन्हें गांवों में सफाई करनी थी। इसके अलावा कई कार्यालय से संबद्ध किए गए थे। इसके अलावा कई और विभागों में सफाई कर्मियों को संबद्ध किया गया था।
अब परेशान… कौन चलाएगा गाड़ी
डीएम के आदेश के बाद डीपीआरओ ने उन्हें सफाईकर्मियों की तैनाती की सूची भेजी थी। इसमें उन सफाईकर्मियों का भी जिक्र था जिन्हें तमाम अधिकारियों के कार्यालयों में संबद्ध किया गया था। इन सफाईकर्मियों को हटाए जाने के बाद जिला, ब्लॉक और तहसील स्तर के अधिकारी परेशान हैं कि उनके काम अब कैसे होंगे। तर्क दिया जा रहा है कि कार्यालयों में कर्मचारियों की कमी होने की वजह से सफाईकर्मियों की मदद ली जा रही थी।
तकरीबन 160 सफाई कर्मियों का संबद्धीकरण खत्म कर उन्हें गांवों में तैनात किया रहा है। गांवों में सफाई व्यवस्था अच्छी हाे, इसलिए डीएम ने तैनाती के आदेश दिए हैं।