दो माह से वेतन न मिलने पर संकट में 98 हजार संविदा स्वास्थ्यकर्मी, आंदोलन की चेतावनी
लखनऊ।
उत्तर प्रदेश के करीब 98,000 संविदा स्वास्थ्यकर्मी दो माह से वेतन न मिलने के कारण गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ ने इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार से तात्कालिक भुगतान की मांग की है।
संघ के पीलीभीत जिलाध्यक्ष शेर सिंह चौहान ने बताया कि सरकार ने हाल ही में “स्वास्थ्य नारी–सशक्त परिवार अभियान” शुरू किया है, जिसका लक्ष्य लाखों महिलाओं तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना है। लेकिन जमीनी स्तर पर अभियान को लागू करने वाले एनएचएम कर्मचारी और आशा कार्यकर्ता ही समय पर वेतन न मिलने से परेशान हैं। राज्य सरकार द्वारा बजट जारी किए जाने के बावजूद प्रशासनिक लापरवाही और वित्तीय प्रक्रिया में देरी के चलते कर्मचारियों का वेतन अटका हुआ है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने एनएचएम की मिशन निदेशक डॉ. पिंकी जोवल को पत्र लिखकर वेतन में हुई देरी के कारणों की जांच के निर्देश दिए हैं। साथ ही 3 अक्टूबर तक रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने कहा कि दशहरा और दीपावली जैसे त्योहारों से पहले हर कर्मचारी को वेतन मिलना जरूरी है। आगे से किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
संघ ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो वे आंदोलनात्मक कदम उठाने को बाध्य होंगे। संघ का कहना है कि यह सिर्फ वेतन का नहीं बल्कि कर्मचारियों की गरिमा और परिवार के सम्मान का सवाल है।
प्रदेशभर के संविदा स्वास्थ्यकर्मियों में इस मुद्दे पर नाराज़गी गहराती जा रही है और यदि समय पर समाधान नहीं हुआ तो इसका असर राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं पर भी पड़ सकता है।