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वेंटिलेटर पर लाश का इलाज़ करने वाले डॉक्टर की डिग्री भी निकली फ़र्ज़ी

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mohit johari@ express views
पीलीभीत । लाश का इलाज़ करने वाले डॉक्टर की मुश्किलें थमने का नाम ही नहीं ले रहीं है । जहां एक ओर डॉक्टर पर लास का इलाज करने का आरोप है वहीँ जांच के दौरान ही उसकी डिग्रियां भी फ़र्ज़ी पायी गयीं है । अब डॉक्टर के अस्पताल का सीज होना और उसका जेल जाना निश्चित है ।

क्या है मामला –
प्राप्त जानकारी के अनुसार पीलीभीत जिले के पूरनपुर तहसील के सिकराना गांव के निवासी राजू को उसके घरवाले घायल अवस्था में ७ जून २०१९ को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के मैकूलाल वीरेंद्र नाथ अस्पताल लेकर पहुंचे । जहां डॉक्टरों ने पहले एग्रीमेंट पेपर पर दस्तखत करवा लिए । और मरीज़ की हालत गंभीर बताते हुए ४० हजार रूपए तत्काल जमा करवाते हुए मरीज को आई सी यू विभाग में वेंटिलेटर पर रखवा दिया । मृतक की पत्नी शारदा देवी ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में जानकारी दी कि आई सी यू में भर्ती करने के बाद उनसे ६० हजार रूपए और जमा कराये गए । अगले ही दिन सुबह जब परिवारवालों ने राजू को घर ले जाने कि बात कि तो डॉ.योगेंद्र नाथ मिश्रा ने मरीज कि हालत को गंभीर बताते हुए ७२ घंटे से पहले छुट्टी करने से इंकार कर दिया । परिजनों को किसी अनजान भय कि शंका हुयी तब उन्होंने अस्पताल प्रशासन पर मरीज की स्तिथि जानने का प्रयास किया, जिस पर अस्पताल प्रशासन अपनी गर्दन फंसती देख उसको किसी अन्य अस्पताल में रेफर कर दिया ।वहीँ दम तोड़ चुके राजू के घर वालों ने जब पोस्टमार्टम करवाया तब पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुए खुलासे को देख सभी हैरान रह गए । पोस्टमार्टम रिपोर्ट में राजू कि मौत १२ से २४ घंटे पहले होना दर्शाया गया । यानि अस्पताल एक लाश का ट्रीटमेंट कर रहा था । जब मामला मीडिया में उछला तब जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव के आदेश पर चिकित्साधिकारी ने तीन सदस्यीय एक कमेटी गठित कर जांच बैठा दी ।

फ़र्ज़ी निकली डॉ कि डिग्री
सीएमओ द्वारा गठित कि गयी कमेटी ने जांच के दौरान डॉ योगेंद्र नाथ की डिग्रियां भी फ़र्ज़ी पायीं । गौरतलब है कि चिकित्सक कि डिग्रियों कि जांच के बाद कॉलेज द्वारा स्पष्ट किया गया कि इस तरह कि डिग्रियां उनके कॉलेज से जारी नहीं कि जातीं हैं । वहीँ अस्पताल के कई डॉक्टर्स की डिग्रियां भी संदेह के दायरे में हैं ।

क्या कहना है सीएमओ का ?मुख्या चिकित्साधिकारी सीमा अग्रवाल ने बताया कि जिलाप्रशासन द्वारा जो भी जानकारी मांगी जा रही है उसको उपलब्ध कराया जा रहा है । अस्पताल को सील करने पर उन्होंने कहा कि फिलहाल चिकित्सक कि डिग्री फ़र्ज़ी है ये सत्यापन में भी आया है और उच्च अधिकारीयों से इस बाबत बात चल रही है ।

आपको बता दें कि डॉ योगेंद्र एक प्रमुख हिन्दू संगठन का पदाधिकारी भी है इसीलिए मामला हाई प्रोफाइल होने के कारण कई सत्ताधारी नेताओं और संगठन के लोगों का दवाव भी प्रशासन पर है । चूँकि मामला है प्रोफाइल है डॉ द्वारा धनबल का प्रयोग करते हुए पीड़ित से भी अपने पक्ष में लिखवा लिया गया है अब देखना ये है कि प्रशासन पीड़ित को न्याय दिलवा पता है या नहीं ।एक फ़र्ज़ी डिग्रियों के सहारे चल रहे अस्पताल में कब ताले पड़ेंगे ।

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