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उत्तर प्रदेश पीलीभीत राज्य 

योगी के स्कूल में शिक्षक को नहीं पता अपने गुरु जी का नाम, विद्यालय में बच्चों के बौद्धिक विकास को पलीता लगातीं अव्यवस्थायें।

पीलीभीत। योगी के स्कूल में शिक्षक को अपने गुरु जी का नाम ही नहीं पता है , तो यह अपेक्षा करना व्यर्थ है कि नौनिहालों को अपने स्कूलों के शिक्षकों का नाम पता होगा। मामला ललौरीखेड़ा ब्लॉक क्षेत्र का है , जहां एक स्कूल के प्रधानाचार्य को अपने गुरु जी का ही नाम नहीं पता है। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लग रही हो , लेकिन यह बात शिक्षक द्वारा फर्जीवाड़ा कर हथियाई गई नौकरी की तरफ इशारा करती है। ब्लॉक ललौरीखेड़ा क्षेत्र के पूर्व माध्यमिक विद्यालय रामनगर में इन दिनों प्रधानाचार्य की कुर्सी पर हरेंद्र गंगवार पुत्र चेतराम तैनात हैं।
हरेंद्र ने बर्ष कक्षा आठ की पढ़ाई पूर्व माध्यमिक विद्यालय अभयराजपुर से की थी। हरेंद्र गंगवार से जब उन्हें कक्षा आठ में शिक्षा ग्रहण कराने बाले गुरु जी के बारे में पूछा गया तो हरेंद्र गंगवार को उनका नाम तक नही पता है। इससे यह आंकलन आसानी से किया जा सकता है कि आज के नौनिहालों को अपने गुरु जी का नाम कैसे याद होगा ? जो कभी – कभी स्कूल पहुंचकर बच्चों को अपना चेहरा दिखाते हैं। हरेंद्र गंगवार ने एसएन इंटर कॉलेज से हाई स्कूल (प्राइबेट) और बीसलपुर के एसआरएम इंटर कॉलेज से इंटर (प्राइवेट) की परीक्षा पास करना बताया। तीन परीक्षाओं को तीन अलग अलग स्थानों से पढ़ाई करना और फिर एक अन्य फर्जी तथ्य को दर्शाकर शिक्षा विभाग में फर्जीबाड़ा कर नौकरी प्राप्त करने की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है। स्कूल में सहायक अध्यापिका शीतल गंगवार हैं , जोकि अपने बच्चे को स्कूल लेकर आतीं हैं और फिर पूरे कार्यदिवस बच्चों को पढ़ाने में नही बल्कि अपने बच्चे को खिलाने में मस्त रहती हैं। प्रधानाचार्य हरेंद्र गंगवार सहित प्राइमरी स्कूल की मुख्य अध्यापिका बच्चों की फर्जी संख्या दर्शाकर प्रधान के साथ मिलकर दूध , फल और मिड-डे-मील का बंदरबांट करने में भी नही चूक रहे हैं।

प्रधानाचार्य हरेंद्र गंगवार

इसी गावं के प्राथमिक विद्यालय में बच्चों के बौद्धिक विकास को पलीता लगातीं अव्वस्थाएँ
इसी गांव के प्राइमरी स्कूल में मुख्य अध्यापिका के रूप में प्रीति अवस्थी तैनात है, इनकी मौजूदगी में स्कूल की छतों पर लंबे – लंबे जाले लटक रहें हैं , जोकि स्वच्छ भारत मिशन के प्रति जागरूक शिक्षक-शिक्षिकाओं की पोल खोल रहे हैं।

दीवारों पर लिखें हैं गलत स्लोगन


दीवारों पर हिंदी में लिखे स्लोगन में व्याकरण सम्बन्धी गलतियां बच्चों के बौद्धिक विकास को भी पलीता लगाने के लिए पर्याप्त हैं। इंग्लिश में बोलने बाली लखनऊ निवासी इस मुख्य अध्यापिका को भाषा मे लिखा गलत स्लोगन भी सही नज़र आ रहा है , और इन्ही स्लोगनों के माध्यम से बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने की प्रेरणा दी जा रही।

अग्निशमन यंत्र भी हो चुके हैं एक्सपायर

बात अग्निशमन यंत्रों की हो तो वह भी एक्सपायर डेट के रखे हैं। शो-पीस बने इन अग्निशमन यंत्रों पर भी न तो इस मुख्य अध्यापिका प्रीति अवस्थी की नज़र गई और न ही संबंधित एआरपी सहित शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों की।इतना ही नही ठंड का मौसम हो या गर्मी का , इस स्कूल में नौनिहालों को फल वितरण के दौरान सिर्फ फल के रूप में केला ही खिलाया जा रहा है , जोकि बच्चों के स्वास्थ्य को बिगाड़ रहा है। ऊपर से शिक्षिका का व्यवहार भी बच्चों में आत्मविश्वास की कमी उत्पन्न कर रहा है।
स्कूल परिसर में थोपे जा रहे हैं उपले
स्कूल की बाउंड्री न होने के कारण स्कूल परिसर में उपले थोपे जा रहे हैं , जिसके कारण स्कूल पुरसाहाल हो रहा है। स्कूल के कक्षा कक्षों में ट्यूबलाइट सहित बल्ब भी महज शो-पीस बने हुए हैं। स्कूलों के खातों में बड़ी धनराशि आने के बाद ऐसे भ्रष्टाचार में लिप्त शिक्षक और शिक्षिकाएं शासकीय धन का दुरुपयोग करने के लिए काफी है। मुख्य अध्यापिका प्रीति अवस्थी स्कूल में भड़काऊ कपड़े पहनकर पहुंचती हैं , जिससे स्कूल के नौनिहालों पर दुष्प्रभाव तो पड़ ही रह है , इसके अलाबा शासन के फरमान की भी धज्जियां उड़ती नज़र आ रहीं है।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी देवेंद्र स्वरूप सचान की लाख कोशिशों के बाद ऐसे शिक्षक और शिक्षिकाएं सिर्फ शासकीय धन को हड़पने के लिए शिक्षा विभाग की नौकरी कर रहे , न कि शासन की मंशा के अनुरूप शिक्षण कार्य करने के लिए नौकरी कर रहे हैं।

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