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उत्तर प्रदेश पीलीभीत 

जिले में पांव पसारते भूमाफियाओं पर प्रशासन हुआ सख्त, तो वहीं रहम के लिये सत्ताधारी नेताओं की चौखटों पर माथा टेकने पहुंचे भूमाफिया

रिपोर्ट: विनय सक्सेना,मोहित जौहरी

पीलीभीत। जिले में भूमाफियाओें द्वारा सरकारी जमीनों और तालाबो पर अवैध रूप से किए गए कब्जे मानो भूमाफियाओं को राजस्व विभाग की ओर से मिला वरदान है।
जबकि सरकार द्वारा अवैध रूप से कब्जाई गयी भूमियों को मुक्त कराने के लिए एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स का गठन किया गया था। एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स का काम भूमाफियाओं को चिन्हित करने के साथ ही उनके खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई करना है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।

बतादें कि, राजस्व विभाग के कर्मचारियों की सांठ-गांठ के चलते जनपद में काफी सरकारी गैरसरकारी जमीनों व तालाबों पर भूमाफियाओं का कब्जा है। पिछले कुछ समय से मीडिया की खबरों और शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए उच्चाधिकारियों द्वारा भूमाफियाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाए गए हैं।

नगर के एक सेनेटरी कारोबारी द्वारा डिग्री कॉलेज चौराहे स्थित तालाब पर कराए गए अवैध निर्माण का मामला मीडिया द्वारा अब उच्चाधिकारियों के संज्ञान में आ चुकने के कारण भूमाफियाओं की मलाई चाटने वाले राजस्व विभाग के कर्मचारी और अधिकारी भी अब बचते नजर आ रहे हैं, तो वहीं सूत्रों की माने तो कारोबारी अब सत्ताधारी नेताओं की चौखटों पर माथा टेकता नजर आ रहा है। किन्तु मामला मीडिया के जरिये ऊपर तक संज्ञान में आने के कारण अवैध निर्माण पर कार्यवाई निश्चित है।

इसी क्रम में कुछ समय पूर्व में नगर के एक प्रतिष्ठित डॉक्टर द्वारा भी एक तालाब को पाटने की कोशिश की जा चुकी है, किन्तु उसमे भी भूमिका सन्दिग्ध होने के कारण राजस्व विभाग की किरकिरी हो चुकी है।

वहीं एक पखबाड़ा पूर्व शहर से सटे पूरनपुर हाइवे पर सरकारी तालाब को पाटकर रामेश्वरम कालोनी के निर्माता सरकारी तालाब का बजूद खत्म कर रहे थे किंतु जब राजस्व विभाग के सम्बन्धित क्षेत्र के लेखपाल से इस बारे में बात की गई तब उन्होंने बताया कि वहां कोई तालाब ही नही है किन्तु जब उनके समक्ष उन्ही के विभाग से निकलवाये कगजातो के आधार पर जानकारी मांगी गई तब उन्होंने बातों के भ्रमजाल में फसाने की कोशिश की लेकिन आखिरकार उनको तालाब होने की सही जानकारी देनी ही पड़ी। ये इस बात का प्रमाण है कि कहीं न कहीं राजस्व विभाग और भूमाफियाओं की सांठ गांठ है।

यही नही अभी हाल ही में नगर के रामलीला रोड स्थित एक तालाब को पाटकर अवैध रूप से कालोनी निर्माण हेतु तालाब पटान किया जा रहा था परंतु मीडिया के दखल देने पर अधिकारियों द्वारा मामले को संज्ञान में लेते हुए पुनः कार्यवाही कर तालाब को खुदवाना पड़ा। जबकि उसके दो दिन पूर्व ही राजस्व विभाग के लेखपाल के के सागर और उपरोक्त कालोनाइजर वेदप्रकाश व उनके पार्टनर देवांश अग्रवाल की तस्वीरे साथ साथ जंगल मे एक पार्टी करते हुए सोशल मीडिया पर खुद कालोनाइजर वेदप्रकाश द्वारा प्रसारित की गईं थीं।


इन सभी घटनाओं से ये तो तय है कि भूमाफियाओं को प्रशासन का संरक्षण बखूबी प्राप्त ही जिसके चलते योगी सरकार में भी भूमाफिया जिले में लंबे पांव पसारने की फिराक में हैं।

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