नही सुधरी खाकी और खादी तो पीलीभीत में भी दोहराई जा सकती है कानपुर जैसी घटना
विनय सक्सेना/मोहित जौहरी@express views
पीलीभीत। कानपुर के विकास दुबे की तरह जनपद पीलीभीत में भी सपा सरकार से एक माफिया ने जन्म लिया है। हालांकि माफिया की हिस्ट्री उसकी उम्र से भी लंबी है। हर तरह का आपराधिक इतिहास है। खाद्यान्न और खनन माफिया के रूप में पनप रहे इस अपराधी की खादी से लेकर खाकी तक मजबूत साख है। यदि समय रहते जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन सतर्क न हुआ तो कानपुर जैसी घटना को पीलीभीत में भी अंजाम दिया जा सकता है।

आईएएस लॉबी और खादी से मजबूत जोड़ होने के कारण जनपद से लेकर शासन तक से एक दिन में खनन की अनुमति प्राप्त करके हिस्ट्रीशीटर बदमाश ने उत्तर प्रदेश के खनन माफियाओं में इतिहास कायम किया है।

कई आईएएस और आईपीएस इस हिस्ट्रीशीटर की जेब मे पड़े रहते हैं।विधायकों और मंत्रियों को बड़ा चन्दा देकर उनकी गोद में खेलने बाला हिस्ट्रीशीटर अपराधी , खनन और खाद्यान्न माफिया एक दिन कानपुर जैसी घटना को पीलीभीत में दोहराने के लिए पर्याप्त है , और कानपुर की घटना की तरह ही इस बदमाश को शरण देने बाले माननीय और अधिकारी ही घटना के जिम्मेदार होंगे। सूत्रों के मुताबिक हालिया समय में माफिया के रूप में पनप रहे हिस्ट्रीशीटर बदमाश की आय से अधिक संपत्ति की भी जांच प्रचलित है।
बतातें चलें कि सपा की पूर्व सरकार में विधान परिषद के सभापति , पूर्व खाद्य रसद मंत्री , कैबिनेट मंत्री , मुख्यमंत्री के अलाबा वर्तमान भाजपा सरकार के पीलीभीत शाहजहांपुर से एमएलसी का टिकट पाने बाले माननीय के माध्यम से प्रदेश से लेकर केंद्र तक के खादीधारियों में अपनी साख को मजबूत करने बाले हिस्ट्रीशीटर बदमाश ने आईपीएस और आईएएस लॉबी में भी खास पैठ बना रखी है। माननीय और आईएएस सहित आईपीएस लॉबी के शौक माफिया द्वारा पूरे किए जाने का सिलसिला जारी है , मजाल क्या कि माफिया के विरुद्ध क्षेत्र में कोई भी आवाज निकाल दे। क्षेत्र में क्या जनपद में माफिया की दहशत व्याप्त है। खादी के रौब से खाकी भी माफिया की चरण वंदना करती है।
कानपुर की घटना के बाद से पीलीभीत जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की नींद तोड़ने के लिए सोशल मीडिया पर सक्रिय समाजसेवी और बदमाशों से दूरी बनाने बाले राजनैतिक लोगों ने पोस्ट करना शुरू कर दी हैं। परंतु ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पीलीभीत में भी कानपुर जैसी घटना की पुनरावृत्ति का पुलिस और प्रशासन को इंतज़ार है। कानपुर की घटना से न जाने विकास दुबे जैसे कितने माफियाओं और बदमाशों के हौंसले बुलंद हुए होंगे।