नई दिल्ली : किसान आंदोलन पर सरकार को सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार।

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों के साथ तालमेल नहीं बिठाने पर सरकार को कड़ी फटकार लगाई। वही कांग्रेस किसानों के मुद्दे पर पूरे विपक्ष को एक प्लैटफॉर्म पर लाकर सरकार पर दबाव बढ़ाने मे जुट गयी है। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसके लिए विपक्षी दलों के नेताओं से बात भी की है।
सोनिया ने की स्वयं की विपक्षी दलों के नेताओं से बात।
नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार सोनिया गांधी ने किन-किन राजनीतिक दलों के नेताओं से बात की है, इसकी जानकारी तो निकलकर अभी सामने नहीं आयी है, लेकिन सूत्रों के हवाले से लिखा है कि सोनिया गांधी ने बातचीत के द्वारा सबसे एक मंच पर आने की अपील की है।
उन्होने विपक्षी नेताओं को एकजुट होकर किसानों के मुद्दे पर संयुक्त रणनीति बनाने एवं मीटिग करने का सुझाव दिया।
सुप्रीम कोर्ट की सरकार को फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई को दौरान केन्द्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि वो कृषि कानूनों पर किसानों की चिंताओं को दूर करने के लिए कमिटी गठन करेगा। संभव है कि कमिटी का सुझाव आने के बाद कुछ रास्ता निकलने तक कृषि कानूनों पर रोक भी लगा दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि ” हमारे धैर्य को लेकर हमें लेक्चर न दिया जाए। हमने आपको काफी वक्त दिया ताकि समस्या का समाधान हो। कृषि कानून के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए हैं वह कानून के अमल पर तब तक रोक लगा सकती है जब तक कि कमिटी के सामने दोनों पक्षों की बातचीत चलेगी ताकि बातचीत के लिए सहूलियत वाले वातावरण हों।”
देश की सर्वोच्च अदालत के इसी कड़े रुख को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने फिर से कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर डाली है।
रणदीप सुरजेवाला ने कहा- कानून वापस ले सरकार।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट के द्वारा केन्द्र सरकार पर हमला बोला। उन्होने अपने ट्वीट मे लिखा कि
“उच्चतम न्यायालय राजनीतिक मुद्दों का निर्णय करता है, राजनीतिक बेईमानी से खेती को पूंजीपतियों के दरवाजे पर बेचने की साजिश का नहीं। सवाल तीन कृषि विरोधी कानूनों में एमएसपी और अनाजमंडियों को खत्म करने का है, किसान को अपने ही खेत में गुलाम बनाने का है। इसलिए कानून रद्द करने होंगे।”
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कानूनों में 18 संशोधन करने के लिए तैयार है। इसकी मतलब है ये कानून गलत हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के रवैये पर जताई नाराजगी
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि नए कृषि कानूनों को लेकर जिस तरह से केन्द्र और किसानों के बीच बातचीत चल रही है, उससे वह बेहद निराश है। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा,
“क्या चल रहा है? राज्य आपके कानूनों के खिलाफ बगावत कर रहे हैं।” उसने कहा, “हम बातचीत की प्रक्रिया से बेहद निराश हैं।”
पीठ ने कहा, “हम आपकी बातचीत को भटकाने वाली कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते लेकिन हम इसकी प्रक्रिया से बेहद निराश हैं।” …………. ” आप बताएं कि आप क्या कानून के अमल पर रोक लगाएंगे या फिर हम करेंगे। दिक्कत क्या है कानून को अभी स्थगित करने में ये बताएं। हम आपको पिछली बार भी कह चुके हैं कि कानून के अमल पर होल्ड किया जाए। लेकिन आपने जवाब नहीं दिया। लोग (किसान) आत्महत्या कर रहे हैं, प्रदर्शन स्थल पर जाड़े में वो सफर कर रहे हैं। हम नहीं समझ पा रहे हैं कि बुजुर्ग और महिलाएं भी वहां क्यों आए हैं। हम कमिटी का प्रस्ताव रख रहे हैं और हम ये भी प्रस्ताव करते हैं कि कानून के अमल पर रोक लगाई जाए। सरकार मुद्दों दर मुद्दों बात करना चाहती है और किसान कानून वापसी चाहते हैं। हम कानून के अमल पर स्टे करेंगे और ये स्टे तब तक होगी जब तक कमिटी बात करेगी ताकि बातचीत की सहूलियत पैदा हो। “
पीठ में न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन भी शामिल थे। माननीय उच्चतम न्यायालय ने याचिकाओं पर सुनवाई करते अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुप्रीम कोर्ट कल इस पर अपना निर्णय सुना सकती है।
(सौ. एनबीटी)