सो रहा निजाम, लूट रहा किसान
सिस्टम की नाकामी से बिचौलियों व राइस मिलरों ने काटी चांदी
पीलीभीत। पूरनपुर तहसील में किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य मिल सके इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा तमाम प्रयास किए जा रहे हैं।लेकिन बिचौलियों की सक्रियता व विभागीय अधिकारियों के भ्रष्टाचार में संलिप्त होने के कारण सरकार की मंशा परवान नहीं चढ पा रही। तमाम प्रयासों के बावजूद भी क्रय केंद्रों पर हुई फर्जी खरीद पर विराम नहीं लग पाया। पूरनपुर व कलीनगर तहसील क्षेत्र में किसानों के धान की फसल खरीद के लिए अलग अलग कंपनियों के 35 क्रय केंद्र स्थापित किए गए। धान खरीद में फर्जीवाड़े की रोकथाम के लिए शासन के आदेश पर किसान पंजीकरण शुरू किए गए जिसमें किसानों ने अपने-अपने पंजीकरण कराएं। लेकिन भ्रष्टाचार की मजबूत जड़ों के कारण यह पंजीकरण बेकार साबित हो हुए हैं। तहसील क्षेत्र में स्थापित धान क्रय केंद्रों पर सन्नाटा पसरा रहा इसके बावजूद भी कागजी घोड़े अपनी रफ्तार में अनवरत् दौड़ रहे हैं। प्रत्येक सेंटर पर नाम मात्र के लिए 50 से 60 बोरी धान लगा लिया गया।जिसकी आड़ में हर रोज सैकड़ों क्विंटल धान की फर्जी खरीद दर्शाई गई। धान क्रय केंद्रों पर वास्तविक हालात बेहद दयनीय देखे गए। सिस्टम भ्रष्टाचार में संलिप्त होने के कारण किसानों को मिलने वाले समर्थन मूल्य को किसानों को न देकर बिचौलियों बा राइस मिलरों को बड़ी आसानी से अदा करता रहा।क्रय केंद्रों पर धान की आवक ना होने के बावजूद भी हर रोज फर्जी खरीद जारी दर्शाई गई। जो विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के कारण अनवरत जारी रही। बीते दिनों धान की आवक होने के बाद भी किसानों को नमी,काला दाना आदि समस्याएं बताकर लगातार किसानों को क्रय केंद्रों टरकाया गया। जिससे हताश किसान बिचौलियों बा राइस मिलों के हाथों अपनी धान की फसल को औने पौने दामों में बेचकर अपने आप को ठगा महसूस करते रहे । मंडी में नीलामी प्रक्रिया से धान खरीद नहीं हो पाई। राइस मिलों पर सीधी खरीद की गई जिस पर किसी प्रकार की कोई रोक नहीं लग पाई। परिणाम स्वरूप किसान की खून पसीने से तैयार की गई धान की फसल को राइस मिलरों ने मनमाने तरीके से खरीदा। स्थापित क्रय केंद्रों पर राइस मिलों की सांठगांठ से फर्जी खरीद का खेल जारी रहा।
*इस तरह से दर्शाई गई फर्जी खरीद*
सेंटर प्रभारियों द्वारा धान की खरीद को किसानों से ना खरीद कर राइस मिल मालिकों से सांठगांठ कर मिल पर चल रही सर सीधी खरीद के माध्यम से किसानों को मनमानी कीमत से ₹100 अतिरिक्त देने का लालच देकर किसान पंजीकरण, फर्द बैंक पासबुक कापी लेकर उनको 4 से 5 दिन में मनमाने रेट से ₹100 अधिक खाते में भेजने का कार्य किया गया। जिसमें क्षेत्रीय सेंटर प्रभारियों की मिलीभगत से इस प्रकार की खरीदो को दर्शाया गया। धान बिक्री मिल पर होने के बाद भी किसानों के मोबाइल पर सेंटर के मैसेज प्राप्त हुए इस प्रकार के कई मामले प्रकाश में भी आए जिन पर स्थानीय प्रशासन द्वारा नकेल नहीं कसी गई।जिसके चलते तहसील क्षेत्र के क्रय केंद्रों पर फर्जी खरीद का बोलबाला रहा। सिस्टम की लापरवाही से किसान बिचौलियों के हाथों लुटते देखें गए।
रिपोर्ट- प्रशांत शर्मा