मौत के सौदागर मुन्ना भाई की जमानत खारिज , पहुंचा सलाखों के पीछे
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पीलीभीत। फर्जी डिग्री के आधार पर पंडित मैकूलाल वीरेंद्रनाथ हॉस्पिटल में मरीजों की मौत के बाद मुर्दों का इलाज कर परिजनों से धन ऐंठने बाले मुन्नाभाई योगेन्द्रनाथ मिश्रा की जमानत याचिका रद्द कर दी गई है।

मुन्नाभाई योगेन्द्रनाथ मिश्रा को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया है। अभियोजन पक्ष की जोरदार दलीलों में कहा गया कि विवेचक नरेश पाल सिंह द्वारा आरोपी योगेन्द्रनाथ मिश्रा को अनुचित लाभ देने के लिए संयुक्त निदेशक अभियोजन (जे.डी.) की विधिक राय को भी दरकिनार किया गया। आरोपी के अधिवक्ता विद्याधर पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हबाला दिया तो वहीं केस से संबंधित अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता संतराम राठौर एवं अरविंद कुमार ने उड़ीसा हाईकोर्ट के आदेश की नजीर पेश की। एडीजीसी (अपराध) विमल वर्मा ने कहा कि योगेन्द्रनाथ मिश्रा अगर न्यूरोसर्जन होते तो वे लाश को वेंटिलेटर पर रखकर इलाज नही करते रहते । योगेन्द्रनाथ मिश्रा को यह भी नही पता कि मरीज की घंटो पूर्व मौत हो चुकी है , इसलिए वे न्यूरोसर्जन नही हो सकते। पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने बरेली से पहुंचे अधिवक्ता अरविंद कुमार ने लिखित बहस प्रस्तुत की और साथ में वे सभी साक्ष्य अपर सत्र न्यायधीश (तृतीय) अमरदीप वर्मा के समक्ष प्रस्तुत किये , जोकि मुन्नाभाई की जमानत याचिका रद्द कराने के लिए पर्याप्त थे। अभियोजन पक्ष की ओर से दलील में कहा गया कि कूट रचित डिग्रियों को असली के रूप में प्रयोग कर चिकित्सीय योग्यता न रखते हुए भी अपने को न्यूरोसर्जन के रूप में प्रतिरूपित कर छल करके मरीजों से धोखाधड़ी कर धन ऐंठने बाले आरोपी योगेन्द्रनाथ मिश्रा को जमानत दी गई तो समाज के लोगों का न्याय पालिका से भरोसा समाप्त हो जाएगा। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश अमरदीप वर्मा ने मुन्नाभाई की जमानत याचिका रद्द करते हुए मुन्नाभाई को जेल भेज दिया। फिलहाल दस महीने की हिला-हवाली और धन के बल पर खुद को बचाने बाले मुन्नाभाई को आज सुधार गृह जाना ही पड़ा।
बतातें चलें कि पंडित मैकूलाल वीरेंद्र नाथ हॉस्पिटल नाथ हॉस्पिटल के डॉक्टर योगेंद्रनाथ मिश्रा के विरुद्ध दिनांक 03 अगस्त को अपर मुख्य चिकित्साधिकारी विजय बहादुर राम ने थाना सुनगढ़ी में मुकदमा अपराध संख्या 326/19 दर्ज कराया था। अपराध संख्या 326/ 2019 में अंकित गैर जमानती धाराओं के अंतर्गत गिरफ्तारी से बचने और जेल जाने के भय से मुन्नाभाई ने जिला सत्र न्यायाधीश के समक्ष एंटी सेपेट्री बेल हेतु प्रार्थना पत्र संख्या 52/2019 प्रस्तुत किया था , जिसको जिला सत्र न्यायधीश ने खारिज कर दिया था। न्यायालय में दाखिल आरोप पत्र में विवेचक नरेश पाल सिंह द्वारा संयुक्त निदेशक अभियोजन की विधिक राय के बाद भी आरोपी को अनुचित लाभ देने के उद्देश्य से गैर जमानती धाराओं को हटा दिया गया , जिसके आधार पर मुन्नाभाई अंतरिम जमानत पाने में सफल हो चुका था। अंतिम जमानत के लिए अपर सत्र न्यायाधीश (तृतीय) ने बुधवार की तिथि नियत की थी। नियत तिथि पर मुन्नाभाई अदालत में प्रस्तुत हुआ। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनकर न्यायधीश ने मुन्नाभाई को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया।
ज्ञात रहे कि मुन्नाभाई के खिलाफ दर्ज मुकदमे में लाश को वेंटिलेटर पर रखकर इलाज के नाम पर एक लाख रुपये वसूलने, कूटरचित फर्जी डिग्रियों से अस्पताल का संचालन करने सहित 31 मई 2018 में हुई बरखेड़ा थाना क्षेत्र के गांव जिरौनिया सेमर गौंटिया निवासी वेगराज के पुत्र अनमोल की इलाज में लापरवाही से मौत के मामले को भी जोड़ा गया है। यह भी बताया गया कि जांच में डॉ.योगेंद्रनाथ की एमएस जनरल सर्जरी एवं एमसीएच इन न्यूरो सर्जरी की डिग्री मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा भारत में प्रैक्टिस के लिए मान्य नहीं है , अथवा फर्जी है।

मुन्नाभाई के पारिवारिक लोगों का भी विवादों से पुराना रिश्ता
जानकारी के मुताबिक बर्ष 1989 में तत्कालीन एसपी होशियार सिंह बलवारिया ने जेपी रोड स्थित पंडित मैकूलाल वीरेंद्रनाथ मेडिकल स्टोर पर छापामार कार्यवाही करके भारी मात्रा में प्रतिबंधित नशीली गोलियां , कैप्सूल आदि दवाइयां बरामद कर दवा व्यापारी को जेल भेजा था। इतना ही नही एसपी श्री बलवारिया ने फर्जी न्यूरोसर्जन डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्रा के पारिवारिक दवा व्यापारियों के घर छापा मारा था , जिसमे अनाधिकृत रूप से बनती दवाइयों का जखीरा पकड़ा था। कड़ाहों में अर्क बनाकर शीशियों में सील किया जा रहा था , कैप्सूल भरकर नकली कैप्सूल बनाये जा रहे थे। इतना ही नही नकली दवाइयों के उस कारखाने से अन्य अबैध सामग्री भी बरामद की थी। तत्कालीन कोतवाल टीआर कोठारी सहित एसआई रामलखन मिश्रा ने एसपी होशियार सिंह बलवारिया के निर्देशन में इन दवा कारोबारियों के खिलाफ बड़ी कार्यवाही की थी।
फर्जी न्यूरोसर्जन डॉ. योगेन्द्रनाथ मिश्रा के पिता डॉ. डीएन मिश्रा व माता उमा मिश्रा की डिग्री व अल्ट्रासाउंड करने पर भी सबालियाँ निशान लग चुके हैं। डॉ. डीएन मिश्रा ने भी फर्जी डिग्री और अबैध अल्ट्रासाउंड सेंटर चलाने के मामले में जमकर सुर्खियां बटोरी थीं। सुधार गृह में रहने के बाद भी परिवार के लोगों में कोई सुधार नही आया , जिसके परिणाम स्वरूप परिवार के लोगों ने युवा डॉक्टर योगेन्द्रनाथ मिश्रा को भी न्यूरोसर्जरी की फर्जी डिग्री दिलाकर फर्जी न्यूरोसर्जन का खिताब दिलाने में कामयाबी हांसिल की , जिसका परिणाम आज सबके सामने है और मुन्नाभाई योगेन्द्रनाथ मिश्रा को भी सुधार गृह जाना पड़ा।