टेरर फंडिंग में हाफिज सईद पाया गया दोषी। पाकिस्तानी अदालत ने सईद को सुनाई 10 साल की सजा।
@digital deskदुनिया के खूंखार आतंकवादियों में शुमार हाफिज सईद को आतंकी वित्तपोषण (टेरर फंडिंग) के दो मामलों में पाकिस्तान की एक अदालत ने गुरुवार को 10 साल की सजा सुनाई। अदालत ने हाफिज सईद को सजा सुनाने के साथ उसकी संपत्ति जब्त करने का निर्देश भी दिया है और 1.1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

इससे पहले इस साल फरवरी में भी सईद को दो मामलें में साढ़े पांच-साढ़े पांच साल कैद की सजा सुनाई थी और कुल 30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। फिलहाल आतंकी संगठन जमात-उद-दावा का मुखिया और मुंबई आतंकी हमले (26/11) का मास्टरमाइंड हाफिज सईद लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद है।
उल्लेखनीय है कि भारत को पिछले काफी सालों से हाफिज सईद की तलाश है। सईद साल 2008 में मुंबई में हुए सीरियल बम धमाकों का मास्टरमाइंड है। अमेरिका ने सईद के सिर पर एक करोड़ डॉलर ( करीब 70 करोड़) का इनाम घोषित कर रखा है। आइए जानते हैं हाफिज सईद और उसकी उसकी जिंदगी के बारे में।
बंटवारे के बाद हरियाणा से लाहौर गया परिवार
हाफिज सईद आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक है। पाकिस्तान में वो जमात-उद-दावा नामक संगठन चलाता है। हाफिज सईद का जन्म पांच जून 1950 को पाकिस्तान के सरगोधा, पंजाब में हुआ था। अभी उसकी उम्र 70 साल है। उसकी पत्नी का नाम मैमूना सईद और बेटे का नाम तलहा सईद है। भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय उसका परिवार हरियाणा के हिसार से लाहौर चला गया था।
इंजीनियर सईद, भारत में चाहता था इस्लामिक शासन।
हाफिज मूलरूप से इंजीनियर है और अरबी भाषा का प्रोफेसर भी रह चुका है। अमेरिकी सरकार की वेबसाइट रिवार्ड्स फॉर द जस्टिस में भी हाफिज सईद को जमात-उद-दावा, अहले हदीद और लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक बताया गया है। अहले हदीद एक ऐसा इस्लामिक संगठन है जिसकी स्थापना भारत में इस्लामिक शासन लागू करने के लिए की गई है।
भारत की मोस्ट वांटेड सूची में शामिल।
हाफिज सईद 2008 (26/11) में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों का मास्टरमाइंड है। इस हमले में छह अमेरिकियों सहित 164 लोगों की मौत हो गई थी। 2006 में मुंबई ट्रेन धमाकों में भी हाफिज सईद का हाथ रहा। 2001 में भारतीय संसद तक को सईद ने निशाना बनाया। वो एनआइए की मोस्ट वांटेड सूची में शामिल है।
मुंबई हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से उसे सौंपने को कहा था। लेकिन पाकिस्तान लगातार सईद को आतंकी मानने से इनकार करता रहा है। भारत समेत अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, रूस और ऑस्ट्रेलिया ने इसके दोनों संगठनों को प्रतिबंधित कर रखा है।
1979 में ओसामा के उस्ताद से की मुलाकात।
1979 में सईद अफगानिस्तान के मुजाहिद अब्दुर रसूल सय्यफ के प्रशिक्षण शिविर में शामिल हुआ। वहां उसकी मुलाकात अलकायदा के संस्थापक सदस्य अब्दुल्ला अज्जम से हुई, जिसने ओसामा बिन लादेन को भी पढ़ाया था।
अमेरिका ने घोषित कर रखा है 70 करोड़ का इनाम
2008 में हुए मुंबई हमलों में छह अमेरिकी नागरिकों की भी मौत हुई थी। 2012 में अमेरिका ने उसके सिर पर 10 मिलियन डॉलर (लगभग 70 करोड़ रुपये) का इनाम घोषित कर दिया। हालांकि, सईद ने अमेरिका की इस घोषणा को हास्यास्पद करार दिया था। 2014 में दिए एक साक्षात्कार में सईद ने कहा था कि मुंबई हमलों से उसका कोई लेना-देना नहीं है।
इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस
भारत के आग्रह पर इंटरपोल ने हाफिज सईद के खिलाफ 25 अगस्त 2009 को रोड कॉर्नर नोटिस जारी किया था। रेड कॉर्नर नोटिस के बावजूद वो पाकिस्तान में खुलेआम घूमता दिखाई देता था। उसे पाकिस्तान में खुले घूमने और सभाएं करने की आजादी मिली हुई थी।
2017 में हुआ नजरबंद, फिर हुई रिहाई
साल 2017 की शुरुआत में पाकिस्तान सरकार ने जमात-उद-दावा के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। इस कार्रवाई में सईद को नजरबंद कर दिया गया था। बाद में सईद को नवंबर 2017 में रिहा कर दिया गया था। इसके बाद जुलाई 2018 में पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे सूची में डाल दिया गया था।
सईद की दोबारा गिरफ्तारी
जेयूडी प्रमुख सईद को 17 जुलाई 2019 में काउंटर टेररिजम डिपार्टमेंट (सीटीडी) द्वारा एक बार फिर गिरफ्तार कर लिया गया। उस समय वह लाहौर से गुजरांवाला की यात्रा कर रहा था। गिरफ्तारी से पहले, लाहौर, गुजरांवाला, मुल्तान, फैसलाबाद और सरगोधा के पुलिस स्टेशनों पर सईद और अमीर अब्दुल रहमान मक्की सहित जेयूडी नेताओं के खिलाफ 23 एफआईआर दर्ज की गईं। सभी पर आतंकवाद के वित्तपोषण का आरोप लगाया गया। इसके बाद सईद को आतंकवाद के वित्तपोषण, मनी लॉन्ड्रिंग के साथ-साथ अवैध भूमि हथियाने से संबंधित लगभग 29 मामलों में नामजद किया गया।
इन हमलों के पीछे सईद का हाथ
5 अगस्त 2015 उधमपुर हमला: जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में तीन आतंकियों ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के काफिले पर हमला किया था। इसमें दो जवान शहीद हो गए थे। जवाबी कार्रवाई में दो आतंकी मारे गए और एक पाकिस्तानी आतंकी नवेद को गिरफ्तार कर लिया गया था।
27 जुलाई 2015 गुरदासपुर हमला: तीन पाकिस्तानी आतंकियों ने पंजाब के गुरदासपुर जिले में एक थाने पर हमला बोल दिया था। इसमें एक पुलिस कप्तान (सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस) और होमगार्ड के तीन जवान शहीद हो गए थे। जवाबी कार्रवाई में तीनों आतंकी भी मारे गए थे।
26/11 मुंबई आतंकी हमला: साल 2008 में 26 नवंबर को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकी समुद्री रास्ते से मुंबई में दाखिल हुए और उन्होंने अलग-अलग जगहों पर 164 बेगुनाह लोगों की जान ले ली। इस भीषण हमले में 308 लोग जख्मी भी हुए। हमलावरों में से एक आतंकवादी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया था। बाद में उन्हें फांसी की सजा दी गई थी।
11 जुलाई 2006 मुंबई ट्रेन विस्फोट।
मुंबई की लोकल ट्रेनों में सात सीरियल बम धमाके हुए थे। यह 1993 के बाद मुंबई में हुआ बड़ा आतंकी हमला था। सभी धमाके लोकल ट्रेनों के फर्स्ट क्लास कोच में प्रेशर कुकर में रखे गए थे। जांच के बाद पाया गया कि इस हमले में प्रतिबंधित संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन का हाथ था, जिसमें लश्कर ने प्रमुख रूप से सहयोग दिया था।
29 अक्टूबर 2005 दिल्ली सीरियल ब्लास्ट।
देश की राजधानी दिल्ली में हुए इन सीरियल बम धमाकों ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने दिल्ली में तीन जगह धमाके किए थे। पहाड़गंज बाजार, सरोजिनी नगर मार्केट और गोविंदपुरी में हुए इन धमाकों में 62 लोग मारे गए थे और करीब 210 घायल हुए थे।
24 सितंबर 2002 अक्षरधाम हमला: लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के दो आतंकियों ने गुजरात के गांधीनगर में अक्षरधाम मंदिर पर हमला किया था। इन आतंकियों ने मंदिर में हथियार और हथगोलों से हमला किया था। हमलावरों को एनएसजी के कमांडो ऑपरेशन में मार गिराया गया था। इस हमले में 30 लोग मारे गए थे।
13 दिसंबर 2001 संसद हमला: लश्कर के आतंकियों ने इस दिन देश की संसद पर हमला किया था। दिल्ली पुलिस के जवानों ने बहादुरी से उनका सामना करते हुए पांचों आतंकियों को ढेर कर दिया था। इस कार्रवाई में आठ पुलिसकर्मी भी शहीद हुए थे। हमले को पाकिस्तान में बैठे लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद के आकाओं के इशारे पर अंजाम दिया गया था।
22 दिसंबर 2000 को लालकिले पर हमला।
लश्कर-ए-तैयबा के छह आतंकियों ने रात में लालकिले पर हमला किया था। इस हमले में सेना दो जवान शहीद हो गए थे और एक अन्य की मौत हो गई थी। हमले के ठीक बाद दिल्ली पुलिस ने जामियागनर में हुए मुठभेड़ में मोहम्मद आरिफ और उसकी पत्नी को गिरफ्तार किया गया था। आरिफ को मौत की सजा सुनाई गई है। मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।