यहां तो नियमों को ताक पर रख कर बेधड़क चल रहे हैं स्कूल ।

मोहित@express viewsपीलीभीत। जिले में गली, मुहल्लों और गांवों में तमाम गैर मान्यता प्राप्त स्कूल संचालित हैं, शासन स्तर से कार्रवाई के आदेश हैं, लेकिन विभागीय अफसर चुप्पी साधे हुए हैं। जबकि अभिभावक अपने बच्चों को दाखिला दिलाने से पहले मान्यता के बारे में जानकारी नहीं जुटाते हैं। इसलिए बिना मान्यता के संचालित स्कूलों का धंधा खूब फल-फूल रहा है।जानकारों का कहना है कि कक्षा पांच और कक्षा आठ तक के बिना मान्यता के स्कूलों की संख्या करीब 200 है, इधर 20 से ज्यादा माध्यमिक स्कूल संचालित हैं, जिनके पास मान्यता नहीं है। एक साल पहले माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा करीब दर्जनों स्कूलों को नोटिस जारी किए थे, मुकदमा दर्ज कराने और जुर्माना वसूलने की चेतावनी भी दी थी। लेकिन स्कूल संचालकों पर कोई असर नहीं हुआ।
अधिकांश स्कूलों पर न तो भूमि है और न भवन
जानकारों का कहना है कि शहर से लेकर देहात क्षेत्र तक ऐसे तमाम माध्यमिक स्कूल संचालित हैं, जो मान्यता के मानकों को पूरा नहीं करते हैं। इसलिए स्कूल संचालक मान्यता को आवेदन नहीं करते हैं। वे बच्चों को पढ़ाते तो अपने स्कूल में हैं और पंजीकृत अन्य स्कूल से कराते हैं। ऐसे अधिकांश स्कूलों पर मानकों के अनुसार न तो भूमि है और न भवन। कई स्कूल तो टीन टप्पर में ही संचालित हैं जो किसी बड़ी दुर्घटना का कारन बन सकतें हैं । वहीं पीलीभीत के नौगवां में स्थित डीपीपी इण्टर कॉलेज बिना मान्यता के इण्टर तक की कक्षाएं संचालित कर रहा है। शिकायतों के बाबजूद जिस पर अभी तक कोई कानूनी शिकंजा नहीं कैसा है।
देते हैं पास कराने की गारंटी
परिषदीय स्कूलों में अभिभावकों की अपेक्षा के अनुसार पढ़ाई नहीं होती है, इसलिए अभिभावक प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को दाखिला दिलाते हैं। हालांकि उन्हें यह महंगा साबित होता है। लेकिन वे पढ़ाई से समझौता करना नहीं चाहते हैं। ये भी एक कारण है बिना के संचालित प्राइवेट स्कूलों के पनपने का। कुछ स्कूल हाईस्कूल और इंटर में पास कराने की गारंटी भी देते हैं।