सरकारी नजूल की जमीन से अबैध आरामशीनों को हटाने का प्रशासन ने दिया आदेश

विनय सक्सेना/मोहित कुमार जौहरी @expressviews
पीलीभीत । आखिरकार जिला प्रशासन ने नजूल की भूमि पर अबैध तरीके से संचालित आरामशीनों के संचालकों को सरकारी नजूल की जमीन ख़ाली करने का आदेश देना ही पड़ा।
ज्ञात ही की वर्ष1982 से स्थापित अबैध आरामशीने पीलीभीत शहर में संचालित हैं ।सबसे बड़ी बात इनको N.O.C.. राजस्व विभाग देता है और रिन्यूवल वन विभाग देता है, जिसमे राजस्व विभाग का करोड़ों का चूना लगा है । इस जमीन को जोकि N.Z.A.. खतौनी में श्रेणी ६ ‘ग’ में दर्ज़ है जो खातेदार हरी बाबू चंदीबाबू के पूर्वाजो को लीज़ पर दी गयी थी, परन्तु इन्होने फ़र्ज़ी तरीके से सरकारी भूमि गाटा संख्या 683/0012 व् 684/0-607 को सरताज आलम पुत्र समीउल्ला लाइसेंस संख्या 28/1984 निवासी मोहल्ला वशीर खां पीलीभीत, अजय कंसल पुर मुनीशचंद्र लाइसेंस संख्या 18/1984 निवासी मोहल्ला नई वस्ती पीलीभीत, व् फिरदौस बेगम पत्नी स्वर्गीय रियासत उल्ला लाइसेंस संख्या 53/1982 निवासी मोहल्ला वशीर खां पीलीभीत को किराये पर दे दी जबकि इनको सरकारी भूमि को किराये पर देने का कोई हक नहीं था ।
नजूल की भूमि पर नहीं हो सकता है पक्का निर्माण
नियमानुसार सरकारी नजूल की जमीन पर पक्का निर्माण नहीं करवाया जा सकता है और न ही पावर कनेक्शन अलॉट कराया जा सकता है किन्तु वन विभाग , विद्युत् विभाग, और राजस्व विभाग व् नगर पालिका की मिली भगत से सारे नियमों को ताक पर रख दिया गया और अबैध रूप से सरकारी नजूल की भूमि पर कब्जा कराकर आरामशीनों को संचालित करवा दिया गया ।
विभागों की मिलीभगत से संचालित है अबैध आरामशीने
हर वर्ष वन विभाग मोटी रकम लेकर लाइसेंस रिन्यूवल करता रहा था नीचे से ऊपर तक सभी विभागों को विगत लगभग ३५ वर्षों से सुविधा शुल्क की कृपा से अबैध आरामशीने संचालित हो रहीं हैं ।
शिकायत करता पर करवा दिया था जान लेवा हमला

समय समय पर लोगों ने इस मामले की शिकायत शासन प्रशासन स्तर पर करने की कोशिश की किन्तु कभी पैसे के बल पर तो कभी गुंडई के दम पर इस मामले को दबा दिया गया। वर्ष २०१६ मेंR.T.I. कार्यकर्ता और वरिष्ठ पत्रकार विनय सक्सेना ने एक R.T.I. वन विभाग से मांगी जिस पर आनन फानन में विभाग की ओर से कार्यवाही तो हो गयी किन्तु उपरोक्त आरोपी आरामशीनों के मालिकों की गुंडई का शिकार पत्रकार विनय सक्सेना को होना पड़ा । प्राप्त जानकारी के अनुसार आरोपियों के गुंडों ने विनय सक्सेना के घर में 30 मार्च 2016 को घुस कर उन पर हमला किया था। बाबजूद इसके विनय सक्सेना ने हार नहीं मानी और अबैध आरामशीनों को बंद करवाने और उन पर कर्यवाही करवाने के लिए शासन स्तर पर भी शिकायतें की ।और अब मजबूर होकर प्रशासन ने अबैध आरामशीनों पर कारवाही करते हुए सरकारी नजूल की भूमि को खाली करने का आदेश आरामशीनों के संचालकों को दिया गया है।कल जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव के निर्देश पर आरामशीनों पर पड़े छापे के दौरान पूरा प्रशासनिक अमला व् निदेशक वानिकी प्रभाग के अधिकारीयों द्वारा सरकारी नजूल की जमीनों पर संचालित आरामशीनों के संचालकों को लाइसेंस निरस्त करने और सरकारी भूमि खाली करने का आदेश दे दिया गया अब देखना ये है कि इस मामले में कोई बड़ी कार्यवाही होगी भी या नहीं या फिर पूर्व की भांति इस बार भी हमेशा की तरह मामला फाइलों में ही दब जायेगा।जैसाकि पूर्व A.D.M. अजय कान्त सैनी ने इस मामले को तीन साल तक अपने निजी स्वार्थ के कारन दवा कर रखा हुआ था ।